भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना किया बंद, अमेरिका का दबाव बढ़ा
भारत का कच्चा तेल आयात प्रभावित
अमेरिका के दबाव का असर, सरकारी और प्राइवेट कंपनियों ने किया तेल खरीदना बंद
भारत के कच्चे तेल के आयात पर अमेरिका के दबाव का असर अब स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। भारत सरकार ने पहले कहा था कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएगी, लेकिन अब स्थिति बदलती दिख रही है। हाल के महीनों में रूस से कच्चे तेल का आयात लगातार घटा है। पिछले महीने, दो प्रमुख सरकारी कंपनियों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया, और अब तीन प्राइवेट कंपनियों ने भी ऐसा ही निर्णय लिया है। इनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, मंगलौर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी शामिल हैं।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों, रोसनेफ्ट और लुकोइल, पर 21 नवंबर से कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इसके तहत इन कंपनियों की सभी अमेरिकी संपत्तियों और वित्तीय लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। यदि अन्य देशों की कंपनियां इनसे बड़े लेनदेन करती हैं, तो उन पर भी द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
अक्टूबर में अमेरिका से रिकॉर्ड आयात
अक्टूबर में भारत ने अमेरिका से प्रतिदिन 5.68 लाख बैरल कच्चा तेल आयात किया, जो मार्च 2021 के बाद सबसे अधिक है। आने वाले समय में इस आयात में और वृद्धि हो सकती है। अमेरिकी दबाव के चलते, भारत का रूस से तेल आयात दिसंबर में तेजी से घटने की संभावना है।
अमेरिका का दबाव कब से?
अमेरिका जुलाई से ही भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने पर रोक लगाने का दबाव बना रहा है। जुलाई में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर आरोप लगाया था कि वह रूस के खिलाफ यूक्रेन के युद्ध में सहयोग कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि भारत रूस से तेल खरीदता रहा, तो व्यापार समझौता संभव नहीं होगा।
