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भारत में आपातकाल: 1975 की काली रात का सच

25 जून 1975 की रात भारत में आपातकाल की घोषणा ने लोकतंत्र को एक गंभीर चुनौती दी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा की गई इस घोषणा ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों को छीन लिया और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया। इस लेख में जानें कि कैसे यह काला अध्याय आज भी बहस का विषय बना हुआ है। क्या यह कदम देश के हित में था या सत्ता को बनाए रखने की एक रणनीति? इस महत्वपूर्ण घटना के बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें।
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भारत में आपातकाल: 1975 की काली रात का सच

आपातकाल की घोषणा

भारत में आपातकाल: 25 जून 1975 की रात को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक काला अध्याय लिखा गया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया- देश में आपातकाल लागू किया गया। 'आज आधी रात से आपातकाल लागू किया जा रहा है' यह घोषणा रेडियो पर की गई थी। संविधान की धारा 352 के तहत लागू किए गए इस आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया, प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगाई गई और विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया। आज भी इस पर बहस होती है कि क्या ये कदम वास्तव में देश के हित में थे या सत्ता को बनाए रखने की एक चाल? यह वह समय था जब भारत की लोकतांत्रिक नींव को सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा।