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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का वैश्विक विस्तार: सुजुकी की नई पहल

सुजुकी ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और निर्यात की योजना की घोषणा की है, जो 2025 से जापान में बेची जाएगी। यह कदम भारत की 'Make in India' पहल को वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक होगा। सुजुकी का लक्ष्य गुजरात संयंत्र से 2.5 लाख यूनिट्स का वार्षिक उत्पादन करना है। इस पहल से भारत की इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को वैश्विक मंच पर मजबूती मिलेगी।
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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात बढ़ाने की दिशा में कदम

भारत में निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ने वाला है। जापान की प्रमुख वाहन निर्माता कंपनी सुजुकी ने यह घोषणा की है कि वह 2025 से गुजरात स्थित मारुति सुजुकी के संयंत्र में निर्मित इलेक्ट्रिक वाहनों को जापान में बेचेगी। यह कदम भारत की 'Make in India' पहल को वैश्विक पहचान दिलाने में सहायक होगा।

सुजुकी के अध्यक्ष तोशिहिरो सुजुकी ने बताया कि उनकी कंपनी ने भारत को अपने वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण केंद्र के रूप में चुना है। गुजरात संयंत्र में स्थापित नई उत्पादन लाइन से छोटे स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स (SUVs) का निर्माण होगा, जिनकी कीमत लगभग 3 से 4 मिलियन येन (लगभग 20,000 से 27,000 अमेरिकी डॉलर) होगी। इन वाहनों का निर्यात जापान के अलावा यूरोप में भी किया जाएगा, और कुछ मॉडल टोयोटा के ब्रांड नाम से बेचे जाएंगे।

मारुति सुजुकी का लक्ष्य इस संयंत्र से वार्षिक उत्पादन क्षमता 2.5 लाख यूनिट्स तक पहुंचाना है। यह कदम भारत को वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

इससे पहले, फ्रांसीसी वाहन निर्माता सिट्रोएन ने भी भारत में निर्मित ë-C3 इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात इंडोनेशिया किया था, जिससे भारत की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण क्षमता का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बढ़ा। भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 2024 में 'इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना' (SPMEPCI) की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत, सुजुकी ने भारत में 10,440 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की है, जिसमें से 3,100 करोड़ रुपये इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के लिए और 7,300 करोड़ रुपये बैटरी निर्माण संयंत्र के लिए आवंटित किए जाएंगे। इस पहल से भारत की इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को वैश्विक मंच पर मजबूती मिलेगी और 'Make in India' अभियान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का अवसर मिलेगा。