भारत में पहली बार मादा चीता मुखी ने जन्म दिए पांच शावक
श्योपुर में ऐतिहासिक घटना
श्योपुर: भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित हुआ, जब भारतीय मूल की मादा चीता 'मुखी' ने पहली बार पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया।
पर्यावरण मंत्री की प्रतिक्रिया
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस सफलता की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की और इसे प्रोजेक्ट चीता के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया। 33 महीने की उम्र में मुखी का यह प्राकृतिक प्रजनन न केवल संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है, बल्कि भारत में चीता की स्थायी आबादी के भविष्य की उम्मीद को भी मजबूत करता है।
प्रोजेक्ट चीता की सफलता
भारतीय मूल की चीता का प्रजनन
प्रोजेक्ट चीता के तहत पाली गई मादा चीता मुखी ने पांच शावकों को जन्म देकर संरक्षण के क्षेत्र में नया अध्याय लिखा है। यह पहला अवसर है जब किसी भारतीय जन्मी मादा चीता ने प्राकृतिक रूप से प्रजनन किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकेत है कि भारत में चीतों ने स्थानीय पर्यावरण और शिकार श्रृंखला के साथ सफलतापूर्वक अनुकूलन करना शुरू कर दिया है।
भूपेंद्र यादव का ऐतिहासिक बयान
ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस घटना को ट्वीट करते हुए इसे 'ऐतिहासिक मील का पत्थर' बताया। उन्होंने कहा कि मुखी का प्रजनन भारत के लिए गर्व का क्षण है और यह दर्शाता है कि हमारा संरक्षण मॉडल सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। यादव ने यह भी बताया कि शावक और मादा चीता दोनों स्वस्थ हैं और विशेषज्ञों की निगरानी में हैं। यह उपलब्धि देश के दीर्घकालिक संरक्षण लक्ष्यों को मजबूत बनाती है।
वीडियो देखें
यहां देखें वीडियो
Historic milestone: Indian-born cheetah Mukhi gives birth to 5 cubs 🐾 🐾
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) November 20, 2025
In a delightful breakthrough for India’s cheetah reintroduction initiative, Mukhi — the first Indian-born female cheetah, aged 33 months — has given birth to five cubs. This is the first time in recent… pic.twitter.com/aw4oGTLAfY
प्रोजेक्ट चीता के लिए नई उम्मीद
भविष्य की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि मुखी का सफल प्रजनन प्रोजेक्ट चीता के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। पहले भारत में लाए गए चीतों के व्यवहार और प्रजनन पर कई सवाल उठाए जाते थे। अब, मुखी का प्राकृतिक प्रजनन यह दर्शाता है कि चीतों की अगली पीढ़ी भारत के जंगलों को अपना घर मानने लगी है। यह एक आत्मनिर्भर और आनुवंशिक रूप से विविध चीता आबादी के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
स्वास्थ्य की स्थिति
मुखी और शावकों की सेहत
वन विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, मुखी और उसके सभी पांच शावक स्वस्थ हैं। निगरानी टीम उनकी सेहत, व्यवहार और खानपान पर ध्यान दे रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती 30 दिन किसी भी चीता शावक के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। इस प्रजनन से भारतीय जंगलों में चीतों की स्थायी उपस्थिति का सपना अब और करीब नजर आ रहा है।
भारत की संरक्षण रणनीति को मजबूती
संरक्षण में नई दिशा
मुखी की यह उपलब्धि भारत की वैश्विक संरक्षण रणनीति को एक नया आयाम देती है। यह साबित करता है कि भारत में चीता पुनर्वास कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। इससे न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा, बल्कि भारत वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक प्रेरक उदाहरण भी बनेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में चीता आबादी के विस्तार का आधार बनेगी।
