भारत में बेरोजगारी दर में गिरावट: जुलाई 2025 के आंकड़े

भारत में बेरोजगारी की स्थिति
भारत में बेरोजगारी: जुलाई 2025 में भारत की बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय कमी आई है। इस महीने बेरोजगारी दर 5.2% पर आ गई, जो पिछले तीन महीनों में सबसे कम है। जून 2025 में यह दर 5.6% थी। केंद्र सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सोमवार को यह नवीनतम आंकड़ा जारी किया है, जो देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि को दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), दूरसंचार, विनिर्माण और खुदरा जैसे क्षेत्रों ने रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा, छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) में भर्तियों में वृद्धि ने ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में भी रोजगार के स्तर को बेहतर किया है। यह आर्थिक सुधार और सरकार की नीतियों का सकारात्मक परिणाम है।
महिलाओं में बेरोजगारी की स्थिति
महिलाओं की बेरोजगारी दर अधिक:
आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 4.4% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 7.2% है। पुरुषों की बेरोजगारी दर (4.6%) की तुलना में महिलाओं में यह दर (8.7%) अधिक है, विशेषकर शहरी इलाकों में। यह दर्शाता है कि शहरी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में रोजगार पाने में अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
श्रमिक-जनसंख्या अनुपात में सुधार
श्रमिक-जनसंख्या अनुपात (WPR):
जुलाई 2025 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रमिक-जनसंख्या अनुपात (WPR) 52.0% रहा। यह अनुपात बताता है कि कुल जनसंख्या में से कितने लोग वास्तव में रोजगार में लगे हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में WPR 54.4% है, जो शहरी क्षेत्रों के 47.0% से अधिक है। विशेष रूप से, ग्रामीण महिलाओं का WPR 35.5% रहा, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 23.5% था। यह दर्शाता है कि ग्रामीण भारत में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी शहरी महिलाओं की तुलना में अधिक है।
श्रम बल भागीदारी दर में वृद्धि
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR):
जुलाई में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 54.9% रही, जो काम करने के लिए उपलब्ध या कार्यरत लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में LFPR 56.9% थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 50.7% रही। लैंगिक आधार पर, पुरुषों की LFPR 77.1% थी, जो महिलाओं की 33.3% की तुलना में काफी अधिक है। यह आंकड़ा ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने की इच्छा रखने वाले लोगों की संख्या में शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिकता को दर्शाता है।