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भारत में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण: 2026 के लिए नई प्रक्रिया की तैयारी

भारत निर्वाचन आयोग ने 1 जनवरी 2026 को आधार मानकर मतदाता सूची के वार्षिक संशोधन को एक विशेष गहन पुनरीक्षण के रूप में आयोजित करने की योजना बनाई है। इस प्रक्रिया में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की बैठक होगी, जिसमें मौजूदा मतदाता संख्या और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी पर चर्चा की जाएगी। आयोग का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक बनाना है, जिसमें मृत और गैर-नागरिकों को हटाया जाएगा। जानें इस प्रक्रिया की समयसीमा और नए मतदाताओं के लिए आवश्यकताएँ क्या होंगी।
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भारत में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण: 2026 के लिए नई प्रक्रिया की तैयारी

मतदाता सूची का वार्षिक संशोधन

Pan India SIR: भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी 1 जनवरी 2026 को आधार मानकर मतदाता सूची के वार्षिक संशोधन को एक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के रूप में आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह प्रक्रिया बिहार में किए गए अभ्यास के समान होगी। आयोग ने 10 सितंबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) की बैठक बुलाई है, जिसमें इस देशव्यापी अभ्यास की रूपरेखा पर चर्चा की जाएगी।


राज्यों से आवश्यक जानकारी

बैठक में आयोग ने राज्यों से मौजूदा मतदाता संख्या, पिछली विशेष पुनरीक्षण की तिथि, उस समय की मतदाता संख्या, और मतदाता सूची के डिजिटलीकरण की स्थिति से संबंधित जानकारी मांगी है। इसके अलावा, नागरिकता साबित करने वाले अतिरिक्त दस्तावेजों की आवश्यकता और मतदान केंद्रों के पुनर्गठन पर भी चर्चा होगी। आयोग की योजना है कि प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1,200 तक सीमित रहे। चुनाव पंजीकरण अधिकारियों, सहायक अधिकारियों और बूथ लेवल अधिकारियों की नियुक्ति और प्रशिक्षण की स्थिति पर भी रिपोर्ट ली जाएगी।


मतदाता सूची का सत्यापन

पूरे देश में मतदाता सूची का सत्यापन

बिहार को छोड़कर अन्य सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाताओं को हस्ताक्षरित गणना प्रपत्र भरकर जमा करना होगा। आवश्यक दस्तावेजों की सूची आयोग अपने अगले आदेश में जारी करेगा। बिहार में यह प्रक्रिया पहले से ही शुरू हो चुकी है क्योंकि वहां विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।


विशेष पुनरीक्षण का उद्देश्य

चुनाव आयोग का मानना है कि इस विशेष गहन पुनरीक्षण का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक सटीक बनाना है। इसमें मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके, कई स्थानों पर नाम दर्ज कराने वाले और गैर-नागरिकों को सूची से हटाया जाएगा। साथ ही, सभी योग्य नागरिकों के नाम को सुनिश्चित रूप से जोड़ा जाएगा।


समयसीमा और प्रक्रिया

समयसीमा और प्रक्रिया

देशव्यापी गणना अभियान एक महीने तक चलेगा। इसके बाद मसौदा सूची प्रकाशित की जाएगी और दावों-आपत्तियों के लिए एक और महीने का समय दिया जाएगा। इन्हें 25 दिनों में निपटाकर अंतिम सूची जनवरी 2026 की शुरुआत में जारी की जाएगी। पिछले साल की तरह यह प्रक्रिया अक्टूबर के अंत से नहीं, बल्कि एक महीने पहले से शुरू की जाएगी ताकि सभी चरण समय पर पूरे हो सकें।


नए मतदाताओं के लिए आवश्यकताएँ

जिन मतदाताओं के नाम पिछली विशेष सूची (2003-04) में दर्ज थे, उन्हें केवल हस्ताक्षरित फॉर्म भरना होगा, जबकि नए मतदाताओं को नागरिकता और 18 वर्ष की आयु पूरी होने का प्रमाण देना अनिवार्य होगा। इस पहल से निर्वाचन आयोग को उम्मीद है कि 2026 से पहले देश की मतदाता सूची अधिक पारदर्शी और त्रुटिरहित बन सकेगी।