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भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में सुधार: 2025 में 77वें स्थान पर पहुंचा

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 में भारतीय पासपोर्ट ने महत्वपूर्ण प्रगति की है, 77वें स्थान पर पहुंचकर वीज़ा-मुक्त देशों की संख्या 59 हो गई है। एशियाई देशों की स्थिति मजबूत बनी हुई है, जबकि अमेरिका और ब्रिटेन की रैंकिंग में गिरावट आई है। जानें किन देशों में भारतीय नागरिक बिना वीज़ा यात्रा कर सकते हैं और पासपोर्ट का कूटनीतिक महत्व क्या है।
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भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में सुधार: 2025 में 77वें स्थान पर पहुंचा

भारतीय पासपोर्ट की नई उपलब्धि

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की ताजा रिपोर्ट में भारतीय पासपोर्ट ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। पिछले वर्ष की तुलना में भारत ने आठ स्थान ऊपर चढ़कर 77वां स्थान हासिल किया है। 2024 में भारत की रैंकिंग 85 थी, जब इसकी स्थिति में गिरावट आई थी। इस बार भारत के लिए वीज़ा-मुक्त देशों की संख्या बढ़कर 59 हो गई है, जो एक सकारात्मक संकेत है।


कौन से देश हैं वीज़ा-मुक्त?

भारतीय नागरिक अब मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और मालदीव जैसे देशों में बिना वीज़ा यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा, श्रीलंका, म्यांमार और मकाऊ जैसे देशों में 'आगमन पर वीज़ा' (Visa on Arrival) की सुविधा भी उपलब्ध है। कुल मिलाकर, भारतीय पासपोर्ट धारकों को अब 59 देशों में वीज़ा-मुक्त या आगमन पर वीज़ा की सुविधा प्राप्त है।


एशियाई देशों की स्थिति

एशियाई देशों ने वैश्विक गतिशीलता में अपनी मजबूत स्थिति को फिर से साबित किया है। सिंगापुर 193 देशों के लिए वीज़ा-मुक्त प्रवेश के साथ पहले स्थान पर है। जापान और दक्षिण कोरिया 190 गंतव्यों के साथ दूसरे स्थान पर हैं। यह एशिया की कूटनीतिक ताकत और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की मजबूती को दर्शाता है।


यूरोपीय देशों की रैंकिंग

तीसरे स्थान पर सात यूरोपीय देश हैं - डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली और स्पेन - जिनके पासपोर्ट धारक 189 देशों में वीज़ा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं। ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, नीदरलैंड और स्वीडन चौथे स्थान पर हैं। न्यूज़ीलैंड, ग्रीस और स्विट्ज़रलैंड संयुक्त रूप से पांचवें स्थान पर हैं।


अमेरिका और ब्रिटेन की गिरती रैंकिंग

2025 में अमेरिका और ब्रिटेन की रैंकिंग में गिरावट आई है, दोनों एक-एक स्थान गिरकर क्रमशः 10वें और छठे स्थान पर पहुंच गए हैं। हालांकि, ब्रिटेन 186 देशों और अमेरिका 182 देशों तक वीज़ा-मुक्त पहुंच प्रदान करते हैं, फिर भी उनकी रैंकिंग में गिरावट वैश्विक नीति में बदलाव का संकेत देती है।


चीन और सऊदी अरब की प्रगति

सऊदी अरब ने इस वर्ष सबसे बड़ी उछाल दर्ज की है, उसने चार नए देशों को जोड़ा है और अब उसके पासपोर्ट से 91 देशों में वीज़ा-मुक्त पहुंच संभव है। चीन ने भी पिछले एक दशक में 34 स्थानों का सुधार किया है और अब वह 60वें स्थान पर पहुंच चुका है, हालांकि वह अभी भी यूरोप के शेंगेन क्षेत्र तक वीज़ा-मुक्त पहुंच नहीं रखता।


पासपोर्ट का महत्व

हेनले एंड पार्टनर्स के सीईओ डॉ. जुएर्ग स्टीफ़न का मानना है कि आज का पासपोर्ट केवल यात्रा दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह एक देश की वैश्विक स्थिति और कूटनीतिक प्रभाव का प्रतीक बन गया है। उनका कहना है कि अमेरिका और ब्रिटेन के नागरिक अब अधिक वैकल्पिक नागरिकता और वैश्विक सुरक्षा की तलाश में हैं, क्योंकि दोनों देशों की नीतियां अधिक अंतर्मुखी हो रही हैं।