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भारतीय वायुसेना का एक्सिओम-4 मिशन: अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों की तैयारी

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 'एक्सिओम-4' मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिन बिताएंगे। इस दौरान वे कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें भारतीय फसलों की वृद्धि, सायनोबैक्टीरिया का अध्ययन, और मांसपेशियों के नुकसान का विश्लेषण शामिल है। शुभांशु नासा के साथ भी सहयोग करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉल के माध्यम से संवाद करेंगे। यह मिशन भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है।
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भारतीय वायुसेना का एक्सिओम-4 मिशन: अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोगों की तैयारी

एक्सिओम-4 स्पेस मिशन का परिचय

Axiom-4 Space Mission: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 'एक्सिओम-4' मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 14 दिन बिताएंगे. इस दौरान वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अन्य भारतीय शोध संस्थानों के लिए कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. आइए जानते हैं उनके इन प्रयोगों के बारे में...


एक्सिओम-4 मिशन की योजना

Axiom-4 मिशन में कब-क्या होगा?

शुभांशु सात भारत-विशिष्ट प्रयोग करेंगे, जो जीव विज्ञान, कृषि और मानव अनुकूलन पर केंद्रित हैं. पहला प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में मूंग (हरी दाल) और मेथी (फेनुग्रीक) जैसे भारतीय फसलों के बीजों की वृद्धि का अध्ययन करेगा. केरल कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ता यह जांच करेंगे कि अंतरिक्ष में इन बीजों का विकास कैसे होता है और क्या ये भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए भोजन स्रोत बन सकते हैं.


शुभांशु शुक्ला के प्रयोगों की विस्तृत जानकारी

शुभांशु शुक्ला के 14 दिनों का पूरा प्लान यहां जानें

दूसरा प्रयोग सायनोबैक्टीरिया, जैसे स्पिरुलिना और सायनोकोकस के विकास पर केंद्रित है. यह प्रयोग ISRO और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से होगा. यह अध्ययन अंतरिक्ष में ऑक्सीजन और भोजन उत्पादन के लिए इन सूक्ष्मजीवों की उपयोगिता की जांच करेगा. तीसरा प्रयोग टार्डिग्रेड्स (वॉटर बियर्स) पर है, जो अत्यंत कठिन परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं. भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) यह देखेगा कि माइक्रोग्रैविटी में ये जीव कैसे व्यवहार करते हैं.


मिशन के अन्य प्रयोग

चौथा प्रयोग मांसपेशियों के नुकसान का अध्ययन करेगा. अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी के कारण मांसपेशियां कमजोर होती हैं. शुभांशु इस समस्या के कारणों और उपचारों की जांच करेंगे, जो मंगल मिशनों और पृथ्वी पर उम्र से संबंधित मांसपेशी हानि के लिए उपयोगी हो सकता है. पांचवां प्रयोग माइक्रोएल्गी पर केंद्रित है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी केंद्र (ICGEB) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च शामिल हैं. यह अंतरिक्ष में इनके विकास और जेनेटिक गतिविधियों का विश्लेषण करेगा.


प्रधानमंत्री से संवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉल भी करेंगे शुभांशु

इसके अलावा शुभांशु नासा के साथ पांच संयुक्त प्रयोग और दो STEM प्रदर्शन करेंगे. वह भारतीय छात्रों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी वीडियो कॉल के जरिए बात करेंगे. ये प्रयोग भारत के गगनयान मिशन (2027) और चंद्र मिशन (2040) के लिए महत्वपूर्ण हैं.