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भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन सिंदूर: राफेल तकनीक ने पाकिस्तान को धोखा दिया

भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को धोखा देने में सफलता प्राप्त की। राफेल लड़ाकू विमान की उन्नत तकनीक, विशेषकर X-Guard डिकॉय सिस्टम, ने दुश्मन के रडार को भ्रमित किया। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने एक राफेल विमान को गिरा दिया, लेकिन असलियत कुछ और थी। जानें इस ऑपरेशन की पूरी कहानी और कैसे चीन ने राफेल की छवि को धूमिल करने की कोशिश की।
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भारतीय वायुसेना की नई रणनीति

भारतीय सेना ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक नई रणनीति का परिचय दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को इस तरह से फंसाया कि उसे लगा कि भारत का राफेल फाइटर जेट गिरा दिया गया है। लेकिन यह सब एक चाल थी, जो भारत की उन्नत राफेल तकनीक के कारण संभव हुआ।


राफेल का X-Guard सिस्टम: दुश्मनों के लिए एक बड़ा धोखा


राफेल लड़ाकू विमान में मौजूद X-Guard डिकॉय सिस्टम भारतीय वायुसेना का एक अत्याधुनिक हथियार है। यह एक फाइबर ऑप्टिक आधारित डिकॉय है, जो राफेल के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के रडार और मिसाइल सिस्टम को भ्रमित करना है।


X-Guard सिस्टम दुश्मन के रडार को झूठी जानकारी भेजता है और डॉपलर सिग्नल्स को हूबहू कॉपी करता है। यह डिवाइस केवल 2 सेकंड में सक्रिय हो जाता है और 360 डिग्री में 500-वॉट के जैमिंग सिग्नल भेजता है। इस तकनीक के कारण दुश्मन को यह आभास होता है कि उसने असली राफेल को निशाना बनाया है, जबकि वास्तव में वह एक डिकॉय विमान होता है।


पाकिस्तान ने राफेल को गिराने का दावा कैसे किया?


पाकिस्तान के रडार और मिसाइल सिस्टम ने भारत की इस तकनीकी चाल को समझने में असफलता दिखाई। पूर्व अमेरिकी फाइटर पायलट रायन बोडेनहाइमर ने इस घटना को अब तक की सबसे बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक युद्ध रणनीति बताया। भारतीय वायुसेना ने X-Guard की मदद से पाकिस्तान के J-10C फाइटर जेट और PL-15E मिसाइलों को पूरी तरह से गुमराह कर दिया।


पाकिस्तान के KLJ-7A AESA रडार, जो चीनी तकनीक पर आधारित हैं, यह समझने में पूरी तरह असफल रहे कि उन्होंने असली राफेल को नहीं, बल्कि एक डिकॉय को निशाना बनाया था। इस भ्रमित स्थिति का परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने एक भारतीय राफेल विमान को गिरा दिया, जबकि वास्तविकता में यह सब एक इलेक्ट्रॉनिक जाल था।


सच्चाई का खुलासा: डसॉल्ट और रक्षा सचिव की पुष्टि


डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन एरिक ट्रैपियर ने एक प्रमुख रक्षा वेबसाइट को बताया कि भारत ने एक राफेल विमान खो दिया था, लेकिन यह तकनीकी खराबी के कारण हुआ था, न कि दुश्मन के हमले के चलते। यह विमान 12,000 मीटर की ऊंचाई पर एक प्रशिक्षण मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। वहीं, भारत के रक्षा सचिव आर.के. सिंह ने पाकिस्तान के राफेल गिराने के दावे को सिरे से नकारते हुए कहा कि भारत की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक ने पाकिस्तान को पूरी तरह से धोखा दिया था।


चीन का प्रोपेगेंडा और राफेल का विरोध


इस दौरान एक और दिलचस्प तथ्य सामने आया। फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने अपनी राजनयिक ताकत का इस्तेमाल कर राफेल की छवि को धूमिल करने की कोशिश की। चीन ने यह प्रचारित किया कि राफेल विमान प्रदर्शन में कमजोर है, जबकि ऑपरेशन सिंदूर ने साबित कर दिया कि राफेल न केवल एक आधुनिक लड़ाकू विमान है, बल्कि उसकी रणनीतियाँ भी पूरी दुनिया में सबसे उन्नत हैं।