भारतीय वायुसेना का मिग-21: एक युग का अंत और तेजस का आगमन

मिग-21 का विदाई समय
MIG 21 लड़ाकू विमानों का अंत: भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ रहा है। मिग-21, जो कई वर्षों तक भारत के आकाश की रक्षा करता रहा, सितंबर 2025 तक सेवा से बाहर हो जाएगा। इसकी जगह अब स्वदेशी तेजस एमके1ए जैसे आधुनिक विमानों को शामिल किया जाएगा, जो देश की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेंगे।
मिग-21 का इतिहास
मिग-21 को पहली बार 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह रूसी निर्मित जेट 2000 के दशक तक वायुसेना की मुख्य ताकत रहा, जब सुखोई Su-30MKI जैसे उन्नत विमानों ने इसकी जगह ली। वर्तमान में, वायुसेना के पास केवल 36 मिग-21 विमान बचे हैं, जबकि कभी इनकी संख्या 900 से अधिक थी। इनमें से लगभग 660 विमान भारत में निर्मित किए गए थे, जो स्वदेशी तकनीकी क्षमता का प्रतीक हैं।
भावुक विदाई
भावुक विदाई का क्षण
अक्टूबर 2023 में, राजस्थान के बाड़मेर में नंबर 4 स्क्वाड्रन के मिग-21 ने अपनी अंतिम उड़ान भरी। यह एक भावनात्मक क्षण था, जब इस विमान ने पाकिस्तान सीमा के निकट अपनी भूमिका निभाई। तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा, "हम 2025 तक मिग-21 विमानों का संचालन बंद कर देंगे और उनकी जगह एलसीए मार्क-1ए का उपयोग करेंगे।"
दुर्घटनाओं का प्रभाव
दुर्घटनाओं का इतिहास और चरणबद्ध समाप्ति
मिग-21 के बेड़े को हटाने का निर्णय इसके दुर्घटनाओं के इतिहास से भी प्रभावित है। मई 2023 में राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक मिग-21 विमान तकनीकी खराबी के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें तीन ग्रामीणों की जान चली गई। इस घटना के बाद पूरे मिग-21 बेड़े की उड़ान पर रोक लगा दी गई थी। जुलाई 2022 में वायुसेना ने चार मिग-21 स्क्वाड्रनों को 2025 तक और मिग-29 को 2027 तक चरणबद्ध तरीके से हटाने की योजना की पुष्टि की थी।
ऐतिहासिक योगदान
ऐतिहासिक योगदान: कारगिल से बालाकोट तक
मिग-21 ने कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्रीनगर स्थित नंबर 51 स्क्वाड्रन ने 1999 के कारगिल युद्ध में 'ऑपरेशन सफेद सागर' में भाग लिया था। फरवरी 2019 में बालाकोट हवाई हमलों के बाद पाकिस्तानी जवाबी कार्रवाई को नाकाम करने में भी इस स्क्वाड्रन की भूमिका थी। विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने इसी स्क्वाड्रन के तहत एक पाकिस्तानी जेट को मार गिराया था, हालांकि बाद में उन्हें भी उतरने पर मजबूर होना पड़ा था।
भविष्य की दिशा
भविष्य की ओर: तेजस और स्टील्थ विमान
मिग-21 के स्थान पर तेजस एमके1ए जैसे स्वदेशी विमान भारतीय वायुसेना को नई ताकत देंगे। इसके साथ ही, भारत पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमानों के विकास पर भी काम कर रहा है, जो इसे विश्व के चुनिंदा देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल करेगा। यह कदम भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।