भारतीय शेयर बाजार में मिडिल क्लास का उभार: विदेशी निवेशकों का पलायन

भारतीय शेयर बाजार की स्थिति
भारतीय शेयर बाजार: हाल ही में अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर भारी टैरिफ लागू किए हैं, खासकर इस कारण कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीद रहा है। इन टैक्सों के प्रभाव से भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका थी। लेकिन परिणाम इसके विपरीत आया है। पिछले छह महीनों में सेंसेक्स और निफ्टी में लगभग 10% की वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि निवेशकों का भारतीय बाजार पर विश्वास बना हुआ है। खास बात यह है कि इस बार बाजार की मजबूती में विदेशी निवेशकों की बजाय भारतीय निवेशकों की भूमिका प्रमुख रही है।
मिडिल क्लास निवेशकों की बढ़ती भूमिका
मिडिल क्लास निवेशकों ने संभाली कमान
पहले भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FII) का वर्चस्व था। उनकी पूंजी के आने-जाने से बाजार में उतार-चढ़ाव होता था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। देश के छोटे और बड़े निवेशक, म्यूचुअल फंड्स और घरेलू संस्थाएं अब बाजार की नई रीढ़ बन गई हैं।
विदेशी निवेशकों का पलायन
विदेशी निवेशक कर रहे हैं पलायन
अमेरिकी टैक्स और वैश्विक परिस्थितियों के कारण विदेशी निवेशक भारत से अपने पैसे निकाल रहे हैं। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं:
चीन का शेयर बाजार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, जिससे निवेशक वहां पूंजी लगाने को प्रेरित हो रहे हैं।
अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निर्यात के लिए कम आकर्षक हो गया है।
निर्यातकों पर दबाव
निर्यातकों पर बढ़ा दबाव
उच्च अमेरिकी टैरिफ का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय निर्यातकों पर पड़ा है। अमेरिकी बाजार में सामान बेचने वाली कंपनियों और उद्योगों को नुकसान हो रहा है। इसका सीधा असर लाखों श्रमिकों और भारत के 'मैन्युफैक्चरिंग हब' बनने के लक्ष्य पर पड़ा है। इस संकट को संतुलित करने के लिए केंद्र सरकार ने कई राहत उपाय किए हैं। हाल ही में जीएसटी (GST) दरों में कटौती कर कारोबारियों और उपभोक्ताओं को राहत दी गई है। इन कदमों से घरेलू निवेशकों का विश्वास और मजबूत हुआ है और बाजार में स्थिरता बनी हुई है।
भारतीय निवेशकों का बदलता रुख
भारतीय निवेशकों का रुझान बदला
पहले भारतीय परिवार अपनी बचत को सोने और संपत्ति में लगाते थे। लेकिन अब स्थिति बदल रही है। लोग तेजी से शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं। वर्तमान में भारत में डिमैट और ट्रेडिंग अकाउंट्स की संख्या 20 करोड़ से अधिक हो चुकी है, जो घरेलू निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाता है। यही कारण है कि विदेशी पूंजी के निकलने के बावजूद भारतीय शेयर बाजार मजबूती से खड़ा है।