भीलवाड़ा में 19 दिन के नवजात की अमानवीय कहानी: मां और नाना हिरासत में

भीलवाड़ा में नवजात की दर्दनाक कहानी
राजस्थान समाचार: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जंगल में 19 दिन के एक नवजात शिशु को मुंह में पत्थर और होंठों पर गोंद लगाकर फेंक दिया गया। यह बच्चा चमत्कारिक रूप से जीवित मिला और अब उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है। इस घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है।
मां और नाना की गिरफ्तारी
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि नवजात को उसकी मां और नाना ने सामाजिक बदनामी के डर से छोड़ दिया था। महिला का कथित तौर पर एक अवैध संबंध था, जिससे यह बच्चा पैदा हुआ। बच्चे को बेचने की कोशिश नाकाम होने के बाद उसे अमानवीय तरीके से जंगल में छोड़ दिया गया।
फर्जी पहचान से प्रसव
भीलवाड़ा पुलिस ने इस मामले में बच्चे की मां और नाना को हिरासत में लिया है। पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह यादव ने बताया, "हमने खुफिया जानकारी के आधार पर महिला को पकड़ा है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि उसका एक व्यक्ति से संबंध था और बच्चे का जन्म उसी रिश्ते से हुआ। इसके बाद उसने बच्चे को छोड़ दिया।"
चरवाहे ने बचाई जान
इस मासूम की जान एक चरवाहे ने बचाई, जो पास में बकरियां चरा रहा था। उसने बच्चे की धीमी रोने की आवाज सुनी और तुरंत पुलिस व ग्रामीणों को सूचित किया। पुलिस ने बच्चे को गंभीर हालत में महात्मा गांधी अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भर्ती कराया।
बच्चे की गंभीर स्थिति
डॉक्टरों के अनुसार, नवजात की स्थिति अभी भी नाजुक बनी हुई है। भीलवाड़ा मेडिकल कॉलेज के मातृ एवं शिशु केंद्र के प्रभारी डॉ. इंद्र सिंह ने बताया, "बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही है, इसलिए उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। इसके अलावा गर्म पत्थरों के संपर्क में आने से उसे जलन भी हुई है।"
सोचने पर मजबूर करने वाली घटना
यह अमानवीय घटना न केवल भीलवाड़ा बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक गंभीर सोचने का विषय है। सामाजिक कलंक के डर और असंवेदनशीलता ने एक मासूम की जान को खतरे में डाल दिया। हालांकि डॉक्टरों की मेहनत और ग्रामीणों की सजगता से बच्चा सुरक्षित है, लेकिन उसकी स्थिति अब भी चिंता का विषय बनी हुई है.