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मचान खेती: कम भूमि में अधिक लाभ की नई तकनीक

मचान खेती, जिसे Scaffolding Farming के नाम से भी जाना जाता है, किसानों के लिए एक नई और लाभकारी तकनीक है। यह विधि बेल वाली सब्जियों की खेती को आसान बनाती है और कम भूमि में अधिक उपज प्रदान करती है। इस लेख में हम जानेंगे कि मचान खेती क्या है, इसके फायदे क्या हैं, और इसे कैसे शुरू किया जा सकता है। यदि आप कृषि में नवीनतम तकनीकों के बारे में जानने के इच्छुक हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
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मचान खेती: कम भूमि में अधिक लाभ की नई तकनीक

मचान खेती: क्या है यह तकनीक?

मचान खेती, जिसे Scaffolding Farming भी कहा जाता है, आज के किसानों के लिए एक अद्भुत समाधान है। यदि आपके पास सीमित भूमि है लेकिन आप अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो यह तकनीक आपके लिए उपयुक्त है।


बेल वाली सब्जियों जैसे लौकी, खीरा और करेला की खेती को सरल और लाभकारी बनाने वाली मचान खेती बिहार के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह विधि कम लागत में अधिक उपज और कीटों से मुक्ति प्रदान करती है, जिससे आपकी आय में वृद्धि होती है।


मचान खेती की प्रक्रिया

मचान खेती में बांस, लकड़ी या लोहे के पाइप से खेत में एक जाल जैसा ढांचा तैयार किया जाता है। इस ढांचे पर बेल वाली फसलों को चढ़ाया जाता है, जिससे वे जमीन पर फैलने के बजाय ऊपर की ओर बढ़ती हैं।


इससे फसलों का जमीन से संपर्क कम होता है, जिससे सड़न और कीटों का खतरा घटता है। यह तकनीक छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इससे सीमित स्थान में भी अधिक पैदावार प्राप्त होती है।


कौन सी फसलें हैं उपयुक्त?

मचान खेती विशेष रूप से बेल वाली सब्जियों के लिए उपयुक्त है। लौकी, खीरा, करेला, तोरई और टिंडा जैसी सब्जियां इस विधि से उगाने पर बेहतरीन परिणाम देती हैं। इसके अलावा, तरबूज और अंगूर जैसे फल भी इस तकनीक से उगाए जा सकते हैं।


मचान पर उगने वाली फसलें खुली हवा और धूप में पनपती हैं, जिससे उनका विकास तेज होता है और फल अधिक रसीले और स्वस्थ होते हैं।


मचान खेती के लाभ

मचान खेती के कई लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ यह है कि फसलें जमीन से ऊपर रहती हैं, जिससे सड़ने या गलने का खतरा नहीं होता। कीटनाशक और फफूंदनाशक का छिड़काव भी आसान हो जाता है, जिससे फसलें रोगमुक्त रहती हैं।


मचान पर उगने वाली फसलें अधिक धूप और हवा प्राप्त करती हैं, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है। एक हेक्टेयर में लौकी 450-500 क्विंटल, खीरा 250-300 क्विंटल, और टिंडा 100-150 क्विंटल तक मिल सकता है।


मचान खेती कैसे शुरू करें?

मचान खेती शुरू करना बहुत कठिन नहीं है। आपको खेत में मजबूत बांस या लोहे के पाइप 2-3 मीटर की दूरी पर गाड़ने हैं। फिर इन पर तार या रस्सी से जाल बुन लें। जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तो उनकी बेलों को इस जाल पर चढ़ा दें।


बिहार सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें और इस योजना का लाभ उठाएं। यह छोटा सा निवेश आपकी आय को कई गुना बढ़ा सकता है!