मद्रास हाईकोर्ट का सुझाव: बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध
सख्त नियमों की आवश्यकता
मद्रास हाईकोर्ट, चेन्नई: नाबालिगों के लिए ऑनलाइन पोर्नोग्राफिक सामग्री की उपलब्धता पर चिंता जताते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई की। यह याचिका एस विजयकुमार द्वारा उनके वकील के पी एस पलानीवेल राजन के माध्यम से दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन और न्यायमूर्ति के के रामकृष्णन की डिविजन बेंच ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर सख्त नियम लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
पैरेंटल कंट्रोल की आवश्यकता
कोर्ट ने सुझाव दिया कि इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को अनिवार्य रूप से पैरेंटल कंट्रोल सेवाएं प्रदान करनी चाहिए, ताकि माता-पिता अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को नियंत्रित कर सकें। इसके अलावा, केंद्र सरकार को सलाह दी गई कि भारत में भी ऑस्ट्रेलिया की तरह 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाया जाए।
ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण
ऑस्ट्रेलिया ने 9 दिसंबर से 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अकाउंट बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे यह दुनिया का पहला देश बन गया है।
याचिका में उठाए गए मुद्दे
यह मामला एक पुरानी जनहित याचिका से संबंधित है, जिसमें यह शिकायत की गई थी कि बच्चों को इंटरनेट पर अश्लील सामग्री आसानी से मिल जाती है। याचिका में यह मांग की गई थी कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को पैरेंटल कंट्रोल सिस्टम लागू करने के लिए निर्देशित किया जाए।
कोर्ट का निर्देश
कोर्ट ने कहा कि जब तक नया कानून नहीं बनता, तब तक सरकार और आयोग को जागरूकता अभियान तेज करना चाहिए और बच्चों व माता-पिता को सुरक्षित इंटरनेट उपयोग के तरीके सरल भाषा में समझाने चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया का ऑनलाइन सुरक्षा कानून
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने नवंबर 2024 में ऑनलाइन सुरक्षा संशोधन विधेयक पारित किया था, जिसका उद्देश्य बच्चों को ऑनलाइन हानिकारक सामग्री और साइबर खतरों से बचाना है। इसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रमुख सोशल मीडिया साइटों से दूर रखने का प्रावधान है।
