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मध्य प्रदेश में मृत शिक्षकों को भेजे गए ई-अटेंडेंस नोटिस, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल

मध्य प्रदेश के रीवा में शिक्षा विभाग ने तीन मृत शिक्षकों को ई-अटेंडेंस नोटिस भेजकर एक गंभीर गलती की है। यह घटना विभाग की डेटा प्रबंधन प्रणाली पर सवाल उठाती है, क्योंकि मृत शिक्षकों के नाम सरकारी रिकॉर्ड में सक्रिय दिख रहे थे। जिला शिक्षा अधिकारी ने इसे एक चूक मानते हुए जल्द सुधार का आश्वासन दिया है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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मध्य प्रदेश में मृत शिक्षकों को भेजे गए ई-अटेंडेंस नोटिस, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल

रीवा में शिक्षा विभाग की चौंकाने वाली गलती


रीवा: मध्य प्रदेश के रीवा जिले से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और डेटा प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां तीन ऐसे शिक्षकों को ई-अटेंडेंस नोटिस भेजे गए हैं, जिनकी मृत्यु कई महीने या साल पहले हो चुकी है। विभाग ने इन शिक्षकों को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने तीन दिनों के भीतर ऐप पर अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं की, तो उनका वेतन काट लिया जाएगा।


यह घटना तब उजागर हुई जब नई ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू होने के बाद विभाग ने 1,500 से अधिक शिक्षकों को अनुपस्थिति के लिए नोटिस जारी किए। इस सूची में तीन ऐसे नाम भी शामिल थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में अभी भी सक्रिय दिख रहे थे।


कागजों पर उपस्थिति, ऐप पर अनुपस्थिति

जानकारी के अनुसार, जिन तीन मृत शिक्षकों को नोटिस भेजा गया, उनमें देवतादीन कोल, जिनका 2023 में निधन हुआ, छोटेलाल साकेत, जिनकी इसी वर्ष मृत्यु हुई, और रामगरीब दीपांकर शामिल हैं, जिनका पहले ही देहांत हो चुका है।


इसके बावजूद, विभाग ने इन सभी को यह कहते हुए नोटिस भेजा कि वे समय पर ऐप पर उपस्थिति क्यों नहीं दर्ज कर रहे हैं। विडंबना यह है कि सरकारी पोर्टल पर इन शिक्षकों का डेटा अपडेट नहीं किया गया, जिसके कारण वे कागजों पर उपस्थित दिखते रहे, जबकि ई-अटेंडेंस सिस्टम उन्हें अनुपस्थित चिह्नित कर रहा था।


अधिकारियों का स्पष्टीकरण

जिला शिक्षा अधिकारी राम राज मिश्रा ने स्वीकार किया कि यह गड़बड़ी पुराने डेटा अपडेट न होने के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि कई प्रविष्टियां संकुल प्राचार्यों द्वारा समय पर संशोधित नहीं की गई थीं, जिसके चलते मृत शिक्षकों के नाम अब भी सिस्टम में सक्रिय दिख रहे थे। मिश्रा ने इसे एक चूक बताते हुए कहा कि विभाग जल्द ही सभी रिकॉर्ड अपडेट करेगा और ऐसी त्रुटियों को दोबारा नहीं होने देगा।


डिजिटल प्रणाली पर उठते सवाल

मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए ई-अटेंडेंस प्रणाली लागू की गई थी। शुरुआत में शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया था, लेकिन हाल ही में विभाग ने इसे सख्ती से लागू करना शुरू किया है। हालांकि, मृत शिक्षकों को नोटिस भेजे जाने की इस घटना ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।


यह मामला दर्शाता है कि डिजिटल व्यवस्था तभी सफल हो सकती है जब डेटा सही और अद्यतन हो। अन्यथा, तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास कभी-कभी हास्यास्पद स्थितियों को जन्म दे सकता है।