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महाराष्ट्र की लाड़ली बहन योजना में अपात्र लाभार्थियों की पहचान का नया तरीका

महाराष्ट्र सरकार ने लाड़ली बहन योजना में अपात्र लाभार्थियों की पहचान के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड से आयकर डेटा प्राप्त करने की अनुमति ली है। इस कदम से योजना में सुधार होगा और केवल योग्य महिलाओं को ही लाभ मिलेगा। योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। प्रशासन अब सख्त कदम उठाएगा और टैक्स फाइल करने वाली महिलाओं की पहचान करेगा। इससे योजना के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।
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महाराष्ट्र की लाड़ली बहन योजना में अपात्र लाभार्थियों की पहचान का नया तरीका

महिलाओं के लिए लाड़ली बहन योजना में बदलाव

महाराष्ट्र समाचार: महाराष्ट्र सरकार की लाड़ली बहन योजना में अब अपात्र लाभार्थियों की पहचान करना आसान हो गया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य सरकार को महिलाओं की आयकर संबंधी जानकारी प्रदान करने की अनुमति दी है। लगभग 6 महीने पहले, महाराष्ट्र सरकार ने इस जानकारी की मांग की थी। इस निर्णय के बाद, महिला एवं बाल विकास विभाग अब आयकर रिटर्न (ITR) के डेटा का उपयोग करके यह निर्धारित कर सकेगा कि लाभार्थी महिला टैक्सपेयर है या नहीं। यदि कोई महिला टैक्स भरती है, तो उसे इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।


लाड़ली बहन योजना का उद्देश्य

लाड़ली बहन योजना का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना के तहत योग्य महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये तक की सहायता दी जाती है। यह योजना विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वर्ग की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई थी।


आगे की कार्रवाई

अब प्रशासन इस मामले में सख्त कदम उठाएगा, और अपात्र महिलाओं की पहचान के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाएंगे:



  • टैक्स फाइल करने वाली महिलाओं की पहचान की जाएगी।

  • पात्रता की दोबारा समीक्षा की जाएगी।

  • राज्य सरकार जल्द ही एक परिपत्र जारी कर सकती है।

  • योजना से बाहर की गई महिलाओं को सूचित किया जाएगा।


लाड़ली बहन योजना की समीक्षा

मूल समीक्षा कब हुई?


लाड़ली बहन योजना की पहली समीक्षा जनवरी 2025 में की गई थी। इस वर्ष योजना की संरचना की समीक्षा शुरू की गई और ओवरलैपिंग लाभ वाले योग्य महिलाओं की पहचान की गई। महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने अनुमानित रूप से 20 लाख लाभार्थियों को योजना से बाहर किए जाने की संभावना जताई थी।


अन्य योजनाओं के लाभार्थियों की कटौती


अप्रैल 2025 में लगभग 8 लाख महिलाओं की मासिक सहायता राशि 1,500 रुपये से घटाकर 500 रुपये कर दी गई, क्योंकि वे अन्य योजनाओं जैसे “नमो शेतकरी महासम्मान निधि” से 1,000 रुपये मासिक लाभ प्राप्त कर रही थीं।


सरकारी कर्मचारियों की पहचान


मई-जून 2025 में लगभग 2 लाख आवेदनों की जांच में 2,289 सरकारी कर्मचारियों को योजना से लाभ लेते हुए पाया गया, जिन्हें लाभ से हटा दिया गया। इसके बाद 2,652 सरकारी कर्मचारियों की पहचान की गई, जिनसे 3.58 करोड़ रुपये की धनराशि वापस ली जा रही है।


महाराष्ट्र सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि योजनाओं का लाभ केवल जरूरतमंदों तक सीमित रखने के लिए तकनीकी संसाधनों का बेहतर उपयोग किया जा रहा है। इससे न केवल वित्तीय भार कम होगा, बल्कि सार्वजनिक धन का दुरुपयोग भी रोका जा सकेगा।