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महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी: बीएमसी चुनाव पर नजरें

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी जोरों पर है, जिसमें बीएमसी का चुनाव विशेष महत्व रखता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, यह चुनाव पिछले तीन वर्षों के बाद हो रहे हैं। शिव सेना के विभाजन के बाद, कांग्रेस और एनसीपी अलग-अलग चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी हैं। इस बार, कांग्रेस ने बीएमसी का चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की है, जबकि शरद पवार की पार्टी भाजपा के साथ संभावित गठबंधन के संकेत दे रही है। जानें इस चुनाव की राजनीतिक समीकरण और संभावनाओं के बारे में।
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महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी: बीएमसी चुनाव पर नजरें

स्थानीय निकाय चुनावों की शुरुआत

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद ये चुनाव आयोजित किए जा रहे हैं, जो पिछले तीन वर्षों से टाले जा रहे थे। राज्य के सभी शहरों के चुनाव महत्वपूर्ण हैं, लेकिन बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) का चुनाव विशेष रूप से ध्यान आकर्षित कर रहा है। यह देश की सबसे समृद्ध नगरपालिका है और पिछले कई दशकों से शिव सेना का नियंत्रण रहा है। अब, शिव सेना के विभाजन के बाद, यह पहला चुनाव होने जा रहा है।


कांग्रेस और एनसीपी ने पिछले डेढ़ दशक में लगातार सरकार बनाई, लेकिन शिव सेना को हराने में सफल नहीं हो पाईं। इस बार, दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ने का निर्णय ले चुकी हैं। कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि वह बीएमसी का चुनाव अकेले लड़ेगी। शरद पवार और उनके परिवार का प्रभाव मुंबई में कम है, जबकि पुणे में अधिक है, जैसे कि एकनाथ शिंदे का प्रभाव ठाणे में है। इस कारण भाजपा ने बीएमसी चुनाव में शिंदे और अजित पवार को ज्यादा महत्व नहीं दिया है।


कांग्रेस भी शरद पवार की पार्टी को नजरअंदाज कर रही है। इसके अलावा, शरद पवार की पार्टी ने संकेत दिया है कि वह भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अजित पवार और शरद पवार की पार्टियों का विलय होगा या शरद पवार अपनी पार्टी के लिए भाजपा के साथ अलग से समझौता करेंगे। इस स्थिति के कारण कांग्रेस उनसे दूरी बनाए रख रही है।