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महिला अधिवक्ता की निजता का उल्लंघन: मद्रास हाईकोर्ट ने कार्रवाई के दिए निर्देश

मद्रास हाईकोर्ट ने एक महिला अधिवक्ता की बिना सहमति के प्रसारित निजी तस्वीरों और वीडियो को हटाने का आदेश दिया है। यह मामला तब सामने आया जब महिला ने अपने पूर्व साथी द्वारा गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई सामग्री के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को 48 घंटे के भीतर संबंधित सामग्री हटाने का निर्देश दिया। जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने इस मामले को महिलाओं की गरिमा से जोड़ा और सरकारी तंत्र की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। जानें इस संवेदनशील मामले की पूरी कहानी।
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महिला अधिवक्ता की निजता का उल्लंघन: मद्रास हाईकोर्ट ने कार्रवाई के दिए निर्देश

महिला अधिवक्ता की तस्वीरों को हटाने की मांग

मद्रास हाईकोर्ट में बुधवार को एक संवेदनशील मामला सामने आया, जब एक महिला वकील ने अपनी अनुमति के बिना प्रसारित निजी तस्वीरों और वीडियो को हटाने की याचिका दायर की। कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को 48 घंटे के भीतर संबंधित सामग्री को हटाने का आदेश दिया है। यह सामग्री कथित तौर पर महिला के पूर्व साथी द्वारा गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई थी और बाद में सोशल मीडिया और पोर्न साइट्स पर साझा की गई।


महिला की याचिका और पुलिस की कार्रवाई

महिला वकील ने अपनी याचिका में बताया कि उनके कॉलेज के एक पूर्व साथी ने उनके निजी पलों को चुपके से रिकॉर्ड किया था। वर्षों बाद, यह वीडियो और तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो गईं। उन्होंने 1 अप्रैल को इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें पूर्व साथी और एक व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन को नामजद किया गया। हालांकि, शिकायत के बावजूद, न तो पुलिस और न ही मंत्रालय ने कोई ठोस कार्रवाई की।


कोर्ट की सख्त टिप्पणी

महिलाओं की गरिमा का मामला


जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं की गरिमा से संबंधित है। उन्होंने भावुक होकर कहा, "अगर यह महिला मेरी बेटी होती तो?" कोर्ट में उनकी आवाज भर आई और उन्होंने याचिकाकर्ता से मिलने की इच्छा भी जताई। उन्होंने कहा कि महिला की हिम्मत उसकी वकालत की शिक्षा और कानूनी समुदाय से मिल रहे समर्थन का परिणाम है, लेकिन जो महिलाएं लड़ नहीं पातीं, उनके लिए क्या किया जा सकता है?


सरकारी तंत्र पर सवाल उठाए गए

तकनीकी उपायों की कमी


महिला अधिवक्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट ने तर्क दिया कि सरकार के पास तकनीकी उपाय उपलब्ध हैं, जैसे हैश-मैचिंग, फोटो डीएनए और AI आधारित टूल्स, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। जस्टिस वेंकटेश ने कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया बिना सुरक्षा के एक 'फ्रेंकनस्टाइन' बन चुके हैं। कोर्ट ने तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया कि वे आईटी मंत्रालय के साथ मिलकर शिकायत मिलने पर ऐसी सामग्री को हटाने की प्रक्रिया शुरू करें। साथ ही, कोर्ट ने इस याचिका को लंबित रखते हुए भविष्य में और दिशा-निर्देश देने की बात कही, ताकि दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित किया जा सके।