मालेगांव ब्लास्ट केस में सभी आरोपियों को बरी करने पर राजनीतिक हलचल

मालेगांव ब्लास्ट केस का फैसला
विशेष एनआईए अदालत ने 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है, जिनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। इस फैसले के बाद देश में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया है। वहीं, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इसे 'न्याय की हार' करार दिया है और महाराष्ट्र सरकार से उच्च न्यायालय में अपील करने की मांग की है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मालेगांव विस्फोट मामले में सभी आरोपियों का निर्दोष साबित होना 'सत्यमेव जयते' का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह निर्णय कांग्रेस के भारत विरोधी और न्याय विरोधी चरित्र को उजागर करता है, जिसने 'भगवा आतंकवाद' जैसे झूठे शब्द का प्रयोग कर करोड़ों लोगों की छवि को धूमिल किया है। उन्होंने कांग्रेस से अपने कृत्यों के लिए सार्वजनिक माफी मांगने की अपील की.
एनआईए कोर्ट का निर्णय
एनआईए कोर्ट के फैसले में क्या कहा गया
एनआईए की विशेष अदालत के जज एके लाहोटी ने अपने फैसले में जांच में कई खामियों और सबूतों की कमी को उजागर किया। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले और कानूनी प्रक्रिया में भी कई कमियां थीं। अदालत ने यह भी कहा कि कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान अदालत में टिक नहीं पाए और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठते हैं.
ओवैसी का विरोध
ओवैसी और एआईएमआईएम का विरोध
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह न्याय की हार है। उन्होंने कहा कि इस धमाके में छह नमाज़ी मारे गए थे और लगभग 100 लोग घायल हुए थे, जिन्हें केवल उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। ओवैसी ने आरोप लगाया कि जांच और अभियोजन की प्रक्रिया जानबूझकर कमजोर रखी गई। एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने महाराष्ट्र सरकार से अपील की है कि वह इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दे.