मेलानिया ट्रंप के वीजा पर सवाल: क्या नियमों की अनदेखी हुई?

सुनवाई में उठे सवाल
अमेरिका की हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी की सुनवाई में डेमोक्रेटिक सांसद जैस्मिन क्रोकेट ने मेलानिया ट्रंप के 'आइंस्टीन वीजा' को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने यह बताया कि एक साधारण मॉडल को यह वीजा कैसे मिला, जबकि इसके लिए नोबेल पुरस्कार या अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों की आवश्यकता होती है। यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका में इमीग्रेशन नीति को लेकर सख्ती बरती जा रही है।
EB-1 वीजा की विशेषताएँ
EB-1 वीजा एक विशेष श्रेणी का वीजा है, जो विज्ञान, कला, खेल, व्यापार या शिक्षा में असाधारण उपलब्धियों वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। यह वीजा अमेरिका की ग्रीन कार्ड यानी स्थायी नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करता है। सांसद क्रोकेट ने कहा कि मेलानिया के पास ऐसी कोई विशेष उपलब्धि नहीं थी, जिससे वह इस वीजा के लिए योग्य मानी जा सकें।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों की राय
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि नोबेल या ओलंपिक जैसी बड़ी उपलब्धियाँ आवश्यक नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्रदर्शित करता है और एक मजबूत मामला प्रस्तुत करता है, तो उसे EB-1 वीजा मिल सकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय मूल के निवेश बैंकर मंगेश घोगरे को न्यूयॉर्क टाइम्स में क्रॉसवर्ड पजल प्रकाशित करने के लिए यह वीजा मिला। इसी तरह, 'द मैट्रिक्स' जैसी फिल्मों में काम कर चुके स्टंट कोऑर्डिनेटर ग्लेन बॉसवेल को भी केवल एक हफ्ते में मंजूरी मिल गई थी।
क्या मेलानिया का मामला नियमों की अनदेखी है?
क्या मेलानिया का मामला नियमों की अनदेखी है?
2000 में जब मेलानिया ने EB-1 के लिए आवेदन किया, तब वह अमेरिका में एक मॉडल के रूप में काम कर रही थीं। उस समय उनकी कोई अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि नहीं थी, जिससे वीजा मिलने पर सवाल उठते हैं। आलोचकों का मानना है कि यह मामला दर्शाता है कि कैसे यह प्रणाली प्रभावशाली व्यक्तियों के लिए आसान हो सकती है, खासकर जब डोनाल्ड ट्रंप खुद 'चेन माइग्रेशन' जैसे कानूनों को समाप्त करना चाहते थे, जो मेलानिया के माता-पिता को अमेरिका लाने में सहायक बने। यह मामला EB-1 वीजा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर बहस को जन्म देता है।