मोढेरा सूर्य मंदिर: गुजरात की प्राचीन स्थापत्य कला का अद्वितीय उदाहरण
मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा ज़िले में स्थित, भारतीय स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का अद्वितीय उदाहरण है। 11वीं शताब्दी में निर्मित, यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसकी भव्यता आज भी दर्शकों को आकर्षित करती है। गर्भगृह, सभा मंडप और सूर्यकुंड जैसे भागों में अद्भुत शिल्पकला देखने को मिलती है। यहाँ हर वर्ष आयोजित होने वाला मोढेरा नृत्य महोत्सव इस स्थल की गरिमा को और बढ़ाता है। यह मंदिर न केवल गुजरात बल्कि सम्पूर्ण भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
Sep 13, 2025, 14:59 IST
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परिचय
गुजरात के मेहसाणा ज़िले में स्थित मोढेरा सूर्य मंदिर भारतीय स्थापत्य कला, धार्मिक आस्था और विज्ञान का एक अनूठा प्रतीक है। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसकी अद्वितीय निर्माण शैली और शानदार शिल्प के कारण यह विश्वभर में प्रसिद्ध है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा किया गया था। सोलंकी राजाओं को सूर्यवंशी माना जाता था, इसलिए उन्होंने सूर्य मंदिरों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया। यह मंदिर लगभग 1026 ईस्वी में स्थापित हुआ और आज भी इसकी भव्यता के लिए जाना जाता है।
स्थापत्य विशेषताएँ
यह मंदिर मुख्यतः तीन भागों में विभाजित है:
गर्भगृह (संरचना का सबसे पवित्र हिस्सा) – यहाँ सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित थी।
सभा मंडप (सभामंडप) – यहाँ स्तंभों पर अद्भुत नक्काशी और शिल्पकला देखने को मिलती है, जहां धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते थे।
सूर्यकुंड (जलाशय) – मंदिर के सामने स्थित विशाल कुंड, जिसमें सीढ़ीनुमा घाट और छोटी-छोटी वेदिकाएँ हैं। माना जाता है कि श्रद्धालु पूजा से पहले यहाँ स्नान करते थे।
इस मंदिर की एक विशेषता यह है कि इसे इस प्रकार बनाया गया है कि सूर्योदय की पहली किरण सीधे गर्भगृह में स्थित सूर्य प्रतिमा पर पड़ती है। यह निर्माण उस समय के उन्नत खगोल विज्ञान और वास्तुकला का प्रमाण है।
कलात्मकता
मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर रामायण, महाभारत, देवी-देवताओं और अप्सराओं की सुंदर नक्काशी की गई है। शिल्प इतना जीवंत है कि ऐसा लगता है मानो पत्थर बोल रहे हों।
वर्तमान स्थिति
हालांकि आज गर्भगृह में मूर्ति नहीं है, यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित है। यहाँ हर वर्ष मोढेरा नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें शास्त्रीय नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियाँ मंदिर की भव्य पृष्ठभूमि में होती हैं। यह महोत्सव मंदिर की गरिमा को और बढ़ाता है।
पर्यटन और महत्व
मोढेरा सूर्य मंदिर न केवल गुजरात बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यहाँ आने वाले पर्यटक प्राचीन स्थापत्य का आनंद लेते हैं और भारतीय विज्ञान, संस्कृति और अध्यात्म की गहराई को महसूस करते हैं।
यह मंदिर भारत की महान स्थापत्य परंपरा, धार्मिक आस्था और वैज्ञानिक सोच का अद्वितीय प्रतीक है। यह न केवल गुजरात बल्कि सम्पूर्ण भारत की पहचान है और आने वाली पीढ़ियों को हमारे गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता रहेगा।