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मोदी सरकार का नवरात्रि उपहार: आर्थिक सुधारों की नई दिशा

मोदी सरकार ने नवरात्रि के अवसर पर जीएसटी बचत का उपहार देकर आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक संकेत दिया है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने दीवाली से पहले एक और बड़ा आर्थिक तोहफा मिलने की संभावना जताई है। भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए विनिर्माण क्षेत्र में गहरे सुधारों की आवश्यकता है। नई राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (NMP) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। जानें, क्या बदलाव आ सकते हैं और ये सुधार कैसे भारत के लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं।
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मोदी सरकार का नवरात्रि उपहार: आर्थिक सुधारों की नई दिशा

नवरात्रि पर आर्थिक सुधारों का उपहार

नवरात्रि के शुभ अवसर पर, मोदी सरकार ने जनता को 'जीएसटी बचत' का तोहफा देकर आर्थिक मोर्चे पर एक सकारात्मक संकेत दिया है। यह केवल शुरुआत है, क्योंकि नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम के हालिया बयान से यह स्पष्ट होता है कि दीवाली से पहले देश को एक और बड़ा आर्थिक उपहार मिलने की संभावना है, जो भारतीय विनिर्माण और व्यापार क्षेत्र को नई दिशा दे सकता है।


विनिर्माण क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता

सुब्रह्मण्यम ने बताया कि भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए अपने विनिर्माण क्षेत्र में गहरे संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है। नई राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (NMP) इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि भारत को टैरिफ में कमी और गैर-टैरिफ बाधाओं को समाप्त करने के लिए साहसिक निर्णय लेने होंगे। इसका अर्थ है कि सरकार एक ऐसी खुली नीति पर काम कर रही है, जो 'मेक इन इंडिया' को एक वास्तविक औद्योगिक क्रांति में बदल देगी।


नई नीति के संकेत

भारत का विनिर्माण क्षेत्र अभी भी मध्यवर्ती उत्पादों की कमी से जूझ रहा है। नई नीति में क्लस्टर आधारित औद्योगिक ढांचे, विश्वस्तरीय सप्लाई चेन और निर्यातोन्मुख उत्पादन को प्राथमिकता देने के संकेत हैं। यह वही मॉडल है जिसने चीन, वियतनाम और दक्षिण कोरिया को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया।


अगली पीढ़ी के सुधारों की तैयारी

नीति आयोग के प्रमुख ने बताया कि राजीव गौबा समिति ने सरकार को अगली पीढ़ी के सुधारों पर अपनी पहली रिपोर्ट सौंप दी है। यह समिति 'विकसित भारत' के लक्ष्यों को गति देने के लिए बनाई गई थी। संकेत स्पष्ट हैं— GST 2.0 के बाद अब सरकार ट्रेड, टैक्सेशन और इंडस्ट्रियल पॉलिसी में बड़े बदलावों की तैयारी कर रही है। संभव है कि दीवाली से पहले इन सुधारों की घोषणा हो, जो 'Ease of Doing Business', निर्यात प्रतिस्पर्धा और एमएसएमई सशक्तिकरण को एक साथ आगे बढ़ाएगी।


लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए अवसर

ये सुधार भारत के लघु एवं मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकते हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट भी यही कहती है कि भारत को अब R&D निवेश, ग्रीन टेक्नोलॉजी और डिज़ाइन-ड्रिवन वैल्यू चेन में प्रवेश करना होगा।


भारत-अमेरिका व्यापार संबंध

भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण ट्रेड डील की बातचीत अंतिम चरण में है। यदि यह समझौता नवंबर से पहले हो जाता है, तो यह न केवल अमेरिकी टैरिफ से राहत देगा बल्कि भारत को अपने सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार के साथ अधिक स्थायी संबंध प्रदान करेगा। वर्तमान में $131.84 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार भारत के लिए गौरव का विषय है, लेकिन यह तभी स्थायी रह सकता है जब अमेरिकी 25% अतिरिक्त ड्यूटी जैसी बाधाएँ हटें।


व्यापार में वृद्धि और चुनौतियाँ

नीति आयोग की 'ट्रेड वॉच क्वार्टरली' रिपोर्ट बताती है कि भारत का व्यापार वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में 2.2% बढ़ा है। यह धीमी लेकिन स्थिर प्रगति है। अमेरिका और उत्तर अमेरिका के बाजारों में भारत की हिस्सेदारी बढ़ी है, जबकि यूरोप, खाड़ी और ASEAN क्षेत्र में थोड़ी गिरावट आई है। सकारात्मक पक्ष यह है कि फार्मा, इलेक्ट्रिकल मशीनरी और अनाज जैसे क्षेत्रों में भारत ने मजबूत प्रदर्शन किया है। दूसरी ओर, चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स आयात में वृद्धि यह याद दिलाती है कि आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य अभी अधूरा है।


पड़ोसी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत को चीन सहित अपने पड़ोसी देशों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन 18,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था है और उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता बताई।


भारत की स्थिति और भविष्य

भारत ने पिछले दशक में बुनियादी ढाँचा, डिजिटल कनेक्टिविटी और कर-संरचना में ऐतिहासिक सुधार किए हैं। अब समय है कि भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का 'सक्रिय भागीदार' बने, न कि केवल बाजार। नई मैन्युफैक्चरिंग नीति और संभावित सुधार भारत को 'मेक इन इंडिया' से आगे बढ़ाकर 'ट्रेड विद इंडिया' के नए युग में ले जा सकते हैं।


नवरात्रि का उपहार और भविष्य की संभावनाएँ

नवरात्रि में कर-राहत का उपहार जनता के उपभोग और मांग को बढ़ाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। लेकिन वास्तविक आर्थिक परिवर्तन तब होगा जब विनिर्माण, व्यापार और निवेश के मोर्चे पर नई नीति लागू होगी। सुब्रह्मण्यम के शब्दों में, यह केवल सुधार नहीं, बल्कि 'मैन्युफैक्चरिंग पुनर्जागरण' की शुरुआत है। यदि सरकार दीवाली से पहले इन सुधारों की घोषणा करती है, तो यह भारत के आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।