यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र में शिक्षा पर गरमाई बहस

मानसून सत्र में शिक्षा की गुणवत्ता पर चर्चा
लखनऊ। यूपी विधानमंडल के मानसून सत्र के दूसरे दिन, नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने फतेहपुर जिले में हिंदू संगठनों के हंगामे पर चर्चा की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस पर आश्वासन दिया।
सपा विधायक ने प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षक भर्ती के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि यदि व्यवस्था सही होती, तो स्कूलों के मर्जर की आवश्यकता नहीं होती। इससे पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति के बच्चों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार सरकारी स्कूलों में बच्चों के नामांकन की व्यवस्था को छह वर्ष से चार वर्ष करेगी? क्या प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती की जाएगी?
इस पर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि प्राथमिक स्कूलों में 3 लाख 38 हजार 590 शिक्षक कार्यरत हैं, साथ ही 3.5 लाख शिक्षामित्र और 25,223 अनुदेशक भी हैं। मर्जर के बाद, 50 बच्चों के लिए तीन शिक्षक (एक प्रधानाचार्य, एक सहायक शिक्षक और एक शिक्षामित्र) नियुक्त किए जाएंगे। वर्तमान में, 30 से 35 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात है। उन्होंने बताया कि छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश नहीं दिया जा सकता, यह कानून के तहत है।
छह वर्ष से कम उम्र के बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र जा सकते हैं, जहां पौष्टिक आहार की व्यवस्था की जाएगी। इस वर्ष से प्री प्राइमरी कक्षाएं भी शुरू की जा रही हैं, और 3500 प्ले स्कूल पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। 19,484 स्पेशल एजुकेटर भी नियुक्त किए गए हैं, और आगे भी नियुक्तियां जारी रहेंगी। मंत्री ने बच्चों के पठन-पाठन के लिए विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया।