यूपीआई का नया चरण: ईएमआई विकल्प से डिजिटल भुगतान में क्रांति
यूपीआई ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक नई दिशा दी है। अब, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) उपभोक्ताओं को यूपीआई भुगतान को ईएमआई में बदलने का विकल्प देने की योजना बना रहा है। यह कदम फिनटेक कंपनियों और बैंकों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगा। हालांकि, इसके साथ ही ऋण चूक का जोखिम भी बढ़ेगा। जानें इस नई सुविधा के लाभ और चुनौतियाँ क्या हैं।
Sep 24, 2025, 13:42 IST
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यूपीआई की भूमिका और भविष्य
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में पिछले दशक में तेजी से बदलाव आया है, जिसमें यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हर महीने लगभग 20 अरब लेन-देन और 25 से 30 करोड़ सक्रिय उपयोगकर्ताओं के साथ, यूपीआई अब दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती डिजिटल भुगतान प्रणाली बन गई है। अब, नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) इसका अगला चरण तैयार कर रहा है, जिसका उद्देश्य यूपीआई को केवल भुगतान का माध्यम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण क्रेडिट इकोसिस्टम में बदलना है।
नए विकल्पों की शुरुआत
रूपे क्रेडिट कार्ड और यूपीआई पर क्रेडिट लाइन जैसी सुविधाओं के बाद, एनपीसीआई उपभोक्ताओं को यह विकल्प देने की योजना बना रहा है कि वे किसी भी यूपीआई भुगतान को तुरंत ईएमआई में परिवर्तित कर सकें। हालांकि, फिनटेक कंपनियाँ अभी इस सुविधा के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं, लेकिन एनपीसीआई ने प्रोडक्ट गाइडलाइन्स जारी कर दी हैं। इस सुविधा का अनुभव दुकानों पर कार्ड स्वाइप करने के बाद किस्तों में भुगतान करने जैसा होगा।
फिनटेक और बैंकों के लिए अवसर
यह पहल फिनटेक स्टार्टअप्स और बैंकों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आई है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नवी जैसे प्लेटफार्म पहले ही यूपीआई पर क्रेडिट सुविधाएँ प्रदान करने में जुटे हैं। कुछ निजी बैंक नवी और पेटीएम जैसी कंपनियों के साथ मिलकर यूपीआई उपयोगकर्ताओं को क्रेडिट लाइन देने लगे हैं। पहले, बचत खातों से किए गए यूपीआई भुगतानों पर व्यापारियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता था, लेकिन अब क्रेडिट आधारित लेन-देन इस समस्या का समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं।
इंटरचेंज शुल्क और स्थायी आय मॉडल
एनपीसीआई यूपीआई पर क्रेडिट लाइन वाले लेन-देन पर लगभग 1.5% इंटरचेंज शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है, जो फिनटेक कंपनियों के लिए स्थायी आय मॉडल का रास्ता खोलेगा। उपभोक्ताओं के लिए यह बदलाव महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि अब छोटे खर्चों से लेकर बड़े उत्पादों की खरीदारी तक, भुगतान को किस्तों में बदलना आसान हो जाएगा।
चुनौतियाँ और सावधानियाँ
हालांकि, इस सुविधा के साथ कई प्रश्न भी उठते हैं। छोटे मूल्य के क्रेडिट और बाय-नाउ-पे-लेटर जैसे विकल्पों के साथ ऋण चूक का जोखिम भी बढ़ेगा। बैंकों के लिए छोटे खुदरा उपभोक्ताओं के क्रेडिट की गुणवत्ता पर नियंत्रण रखना चुनौतीपूर्ण होगा। इसलिए, ऋणदाता इस मॉडल को सावधानी से बढ़ाएंगे। उपभोक्ताओं को भी वित्तीय अनुशासन बनाए रखना होगा, क्योंकि बिना सोच-समझे ईएमआई विकल्प का उपयोग दीर्घकालिक बोझ बन सकता है।
यूपीआई का भविष्य
यूपीआई अब केवल एक ऐप या भुगतान माध्यम नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुका है। ईएमआई सुविधा जुड़ने के बाद, यह और भी व्यापक रूप ले लेगा। उपभोक्ताओं को अधिक लचीलापन मिलेगा, कारोबारियों को बिक्री बढ़ाने का अवसर और फिनटेक कंपनियों को नया राजस्व स्रोत। यदि उपभोक्ता जिम्मेदारी से क्रेडिट का उपयोग करें और बैंक-फिनटेक मिलकर पारदर्शिता सुनिश्चित करें, तो यूपीआई न केवल डिजिटल भुगतान बल्कि डिजिटल क्रेडिट के क्षेत्र में भी भारत को वैश्विक नेतृत्व दिला सकता है।