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रक्षाबंधन 2025: भाई-बहन के रिश्ते का पर्व

रक्षाबंधन 2025, भाई-बहन के रिश्ते का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो 9 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। इस लेख में, हम रक्षाबंधन की प्राचीन परंपरा और महाभारत की कहानियों के माध्यम से इस त्योहार के महत्व को समझेंगे। जानें कैसे श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा ने इस पर्व को एक विशेष भावनात्मक रंग दिया है।
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रक्षाबंधन 2025: भाई-बहन के रिश्ते का पर्व

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन 2025: यह त्योहार भाई-बहन के बीच के पवित्र संबंध को मनाने का एक विशेष अवसर है। इस वर्ष, रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती हैं।


रक्षाबंधन की प्राचीन परंपरा

रक्षाबंधन की परंपरा केवल वर्तमान समय की नहीं है, बल्कि इसकी जड़ें प्राचीन काल में भी फैली हुई हैं। विशेष रूप से महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कथा ने इस त्योहार को एक विशेष भावनात्मक रंग दिया है।


जब श्रीकृष्ण की उंगली से बहने लगा खून

महाभारत के एक प्रसिद्ध प्रसंग में, जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया, तो उनकी उंगली से खून बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया ताकि खून रुक सके। यह घटना श्रावण पूर्णिमा के दिन हुई थी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने द्रौपदी से कहा, 'तुमने जो मेरे लिए किया है, मैं उसे कभी नहीं भूलूंगा और हमेशा तुम्हारी रक्षा करूंगा।' यही पल रक्षाबंधन की परंपरा की शुरुआत माना जाता है।


द्रौपदी की लाज की रक्षा

कुछ समय बाद, जब युधिष्ठिर ने चौसर के खेल में अपनी सारी संपत्ति दांव पर लगा दी और द्रौपदी को भी हार गए, तब दुशासन ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया। उस समय द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को दिल से याद किया और उन्हें पुकारा। श्रीकृष्ण ने अपना वचन याद करते हुए अपनी लीला से द्रौपदी की साड़ी को इतना लंबा कर दिया कि दुशासन थक कर बेहोश हो गया। इस घटना ने यह साबित किया कि श्रीकृष्ण ने हमेशा द्रौपदी की रक्षा की, जैसा उन्होंने वादा किया था।