राज ठाकरे का सख्त निर्देश: मनसे कार्यकर्ताओं को मीडिया से दूर रहने की सलाह

हिंदी और मराठी भाषा विवाद पर मनसे की नई नीति
महाराष्ट्र में हिंदी और मराठी भाषाओं के बीच चल रहे विवाद ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर नई संवेदनशीलता को जन्म दिया है। इस स्थिति को देखते हुए, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उनका मुख्य उद्देश्य पार्टी की छवि को किसी भी विवाद या गलतफहमी से बचाना है।
मीडिया से बातचीत पर प्रतिबंध
मीडिया से बातचीत पर पूर्ण प्रतिबंध
राज ठाकरे ने मंगलवार रात को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “एक स्पष्ट निर्देश है... पार्टी के किसी भी सदस्य को समाचार पत्रों, चैनलों या डिजिटल मीडिया से बातचीत नहीं करनी चाहिए।” इस बयान के जरिए ठाकरे ने यह स्पष्ट किया कि मनसे के कार्यकर्ताओं को सार्वजनिक या डिजिटल मंचों पर चल रही भाषा संबंधी बहस में भाग लेने की अनुमति नहीं है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने की मनाही
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देने की मनाही
ठाकरे ने अपने निर्देशों में सोशल मीडिया पर सक्रियता को भी सीमित करने की बात कही। उन्होंने पार्टी के सदस्यों को सलाह दी कि वे अपनी राय के वीडियो या पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा न करें। उनका कहना था कि वर्तमान स्थिति संवेदनशील है और किसी भी गैर-जिम्मेदाराना बयान से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
प्रवक्ताओं पर भी नियंत्रण
प्रवक्ताओं पर भी नियंत्रण
राज ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी के अधिकृत प्रवक्ता तब तक कोई बयान नहीं देंगे जब तक कि उन्हें विशेष अनुमति न मिले। उन्होंने कहा, “जिन प्रवक्ताओं को मीडिया से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई है, वे भी मुझसे परामर्श किए बिना किसी भी माध्यम से संपर्क नहीं करेंगे और सोशल मीडिया पर भी कोई बयान नहीं देंगे।” यह बयान मनसे के नेतृत्व में अनुशासन की सख्त मांग को दर्शाता है।
भविष्य की रणनीति का संकेत
भविष्य की रणनीति का संकेत
राज ठाकरे का यह कदम इस ओर संकेत करता है कि पार्टी इस मुद्दे पर एक केंद्रीकृत रणनीति के तहत आगे बढ़ना चाहती है, ताकि कोई भी असंगत बयान या कदम पार्टी लाइन से बाहर न जाए। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मनसे इस विवाद को गंभीरता से ले रही है और अपनी सार्वजनिक छवि को लेकर सतर्क है।