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राजस्थान के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से मचा हड़कंप, प्रशासन पर उठे सवाल

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से पूरे गांव में हड़कंप मच गया है। ग्रामीणों ने पहले ही स्कूल की जर्जर स्थिति के बारे में शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस दर्दनाक घटना में कई बच्चे घायल हुए हैं, जिन्हें अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने घटना पर चिंता जताई है। गांव में शोक का माहौल है और लोग प्रशासन के प्रति आक्रोशित हैं।
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राजस्थान के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से मचा हड़कंप, प्रशासन पर उठे सवाल

स्कूल की छत गिरने की घटना

राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को एक सरकारी स्कूल की छत गिर गई, जिससे पूरे गांव में हड़कंप मच गया। इस घटना के पीछे अधिकारियों और स्कूल प्रशासन की लापरवाही की बातें सामने आ रही हैं। ग्रामीणों ने पहले ही स्कूल की खराब स्थिति के बारे में कई बार शिकायत की थी और मरम्मत की मांग की थी, लेकिन प्रशासन और शिक्षकों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।


लापरवाही का खुलासा

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने तहसीलदार और सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को भी स्थिति के बारे में सूचित किया था। शिक्षकों ने ग्रामीणों से प्रति परिवार ₹200 जमा करने को कहा था ताकि छत की मरम्मत की जा सके। ग्राम विकास अधिकारी दौलत गुर्जर का कहना है कि स्कूल की मरम्मत चार साल पहले की गई थी और तब से छत ठीक थी, लेकिन ग्रामीणों का अनुभव इससे अलग है।


दर्दनाक मंजर

गांव के निवासी बालकिशन ने बताया कि जब वह पास की सड़क पर बैठे थे, तभी अचानक एक तेज आवाज आई। स्कूल की छत गिर गई थी और बच्चे चीख रहे थे। ग्रामीण तुरंत स्कूल पहुंचे और मलबा हटाकर बच्चों को निकालने लगे। घायल बच्चों को अस्पताल पहुंचाने के लिए निजी वाहनों का सहारा लिया गया, क्योंकि एंबुलेंस लगभग 45 मिनट बाद आई।


गांव में शोक का माहौल

इस घटना ने गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है। शुक्रवार को गांव के किसी भी घर में खाना नहीं बना। ग्रामीणों ने भोजन नहीं किया, जबकि स्थानीय प्रशासन ने बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था की। गांव में शोक का माहौल है और लोग प्रशासन के प्रति आक्रोशित हैं।


नेताओं का दौरा और राहत कार्य

शाम को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे सांसद दुष्यंत सिंह गांव पहुंचे। वसुंधरा ने कहा कि यदि स्कूल की इमारत को पहले ही चिह्नित किया गया होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था। वहीं, गांव के सरपंच रामप्रसाद लोढ़ा ने बताया कि हादसे के बाद वह खुद जेसीबी लेकर पहुंचे और तुरंत राहत कार्य शुरू किया। करीब 13 बच्चों को मलबे से निकाला गया और अधिकांश को ग्रामीणों ने अपने दोपहिया वाहनों से अस्पताल पहुंचाया।