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राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर जेडीयू के गंभीर आरोप

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास को खाली करने के मुद्दे पर जेडीयू ने गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रवक्ता नीरज कुमार ने तहखाने में छिपी संपत्ति की जांच की मांग की है। इस विवाद ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और क्या है राबड़ी देवी का पक्ष।
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राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर जेडीयू के गंभीर आरोप

राजनीतिक बयानबाजी का नया दौर

पटना: बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी निवास को खाली करने के मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी के आवास पर अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने गंभीर आरोप लगाए हैं।


जेडीयू का दावा

जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि राबड़ी देवी के आवास में एक तहखाना हो सकता है, जिसमें सोने-चांदी, नकद और भूमि से संबंधित दस्तावेज छिपाए गए हैं। उन्होंने सरकार से इसकी जांच करने की मांग की है।


जांच की आवश्यकता

शनिवार को मीडिया से बातचीत में नीरज कुमार ने बताया कि राबड़ी देवी का परिवार इस समय पटना में नहीं है। उनके बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव विदेश यात्रा पर हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आवास से पेड़-पौधों को किसकी अनुमति से हटाया गया। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या ये पौधे लालू परिवार की निजी संपत्ति थे या उद्यान विभाग द्वारा दिए गए थे। प्रवक्ता ने कहा कि यदि ये सरकारी संसाधन थे, तो इसकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।


तहखाने की सामग्री पर चिंता

नीरज कुमार ने भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे राबड़ी देवी के आवास में मौजूद सभी सरकारी संपत्तियों की एक अद्यतन सूची तैयार करें। उन्होंने चेतावनी दी कि तहखाने में कोई सामग्री हो सकती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, आवास खाली करने के दौरान पंखे, रेगुलेटर, नल की टोंटी और पाइप जैसी छोटी सरकारी वस्तुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।


विवाद की शुरुआत

यह विवाद तब शुरू हुआ जब राबड़ी देवी को सरकारी आवास खाली करने का नोटिस जारी किया गया। आरजेडी की ओर से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे जेडीयू द्वारा विपक्ष पर एक हमले के रूप में देखा जा रहा है। बिहार की राजनीति में ऐसे आरोप-प्रत्यारोप आम हैं, लेकिन इस बार तहखाने और संपत्ति की जांच की मांग ने मामले को और भी गर्म कर दिया है।