राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश: राष्ट्रीय सुरक्षा में जनता की भूमिका
राष्ट्रपति मुर्मू का कार्यक्रम में संबोधन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हाल ही में इंटेलिजेंस ब्यूरो के शताब्दी उपनिवेश व्याख्यान में भाग लिया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सुरक्षा बलों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी से ही मजबूत होती है।
उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने आस-पास की घटनाओं के प्रति केवल दर्शक न बनें, बल्कि सतर्क और सक्रिय भागीदार बनें। मुर्मू ने जन भागीदारी को सुरक्षा का आधार बताया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
सोशल मीडिया का सकारात्मक उपयोग
राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह सूचना और संचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है, लेकिन इसके माध्यम से गलत सूचनाएं भी फैल सकती हैं। उन्होंने नागरिकों से सच पर आधारित जानकारी साझा करने और गलत सूचनाओं से बचने का आग्रह किया।
उदाहरण देते हुए मुर्मू ने बताया कि जागरूक नागरिकों की सूचनाओं के कारण सुरक्षा बल कई गंभीर संकटों को टालने में सफल रहे हैं।
आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना
राष्ट्रपति ने कहा कि आज की सुरक्षा चुनौतियां डिजिटल और गैर-पारंपरिक स्वरूप की हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विकसित देशों में लोग पुलिस को भरोसेमंद मानते हैं, जबकि भारत में कुछ लोग पुलिस से दूरी महसूस करते हैं।
उन्होंने ड्रग्स और कट्टरपंथ जैसी समस्याओं से निपटने में जनता की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया।
नक्सलवाद पर सुरक्षा एजेंसियों की उपलब्धियां
द्रौपदी मुर्मू ने नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि नक्सलवाद को 31 मार्च, 2026 तक समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। 2014 में 126 जिले नक्सल प्रभावित थे, जबकि अब केवल 11 जिले प्रभावित हैं।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जनता की सक्रिय भागीदारी से भारत एक सतर्क, शांतिपूर्ण और समृद्ध देश की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा।
