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राहुल गांधी का EIA विश्वविद्यालय में भाषण: लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था पर चिंता

राहुल गांधी ने कोलंबिया के EIA विश्वविद्यालय में अपने भाषण में भारत के लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था पर गंभीर चिंताओं का इजहार किया। उन्होंने वैश्विक ऊर्जा परिवर्तनों, चीन के साथ प्रतिस्पर्धा, और भारत की अनूठी ताकतों पर चर्चा की। जानें उनके विचार और भविष्य की चुनौतियाँ।
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राहुल गांधी का EIA विश्वविद्यालय में भाषण: लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था पर चिंता

राहुल गांधी का EIA विश्वविद्यालय में भाषण

राहुल गांधी का EIA विश्वविद्यालय में भाषण: कोलंबिया स्थित EIA विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था के बारे में गंभीर चिंताओं का इजहार किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक ऊर्जा और शक्ति में हो रहे परिवर्तनों के बीच देश के भविष्य को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।


राहुल गांधी ने बताया कि अमेरिका, जो समुद्री दृष्टिकोण रखता है, और चीन, जो जमीनी दृष्टिकोण अपनाता है, के बीच असली संघर्ष इस बात पर है कि इस बदलाव को कौन संभालेगा, और वर्तमान में चीन इस क्षेत्र में आगे है।


ऊर्जा के बदलते परिदृश्य पर चर्चा करते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे ब्रिटिश साम्राज्य ने कोयला खदानों पर नियंत्रण स्थापित किया और फिर अमेरिका ने पेट्रोल और कंबस्टन इंजन में अपनी पकड़ बनाई। अब, दुनिया इलेक्ट्रिक बैटरी और मोटर्स की ओर बढ़ रही है, जो अगली वैश्विक महाशक्ति का निर्धारण करेगी।




लोकतंत्र पर खतरा


भारत के संदर्भ में, राहुल गांधी ने कहा कि लोकतंत्र पर हो रहा हमला वर्तमान में देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने बताया कि भारत की धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता हमेशा से एकता का प्रतीक रही है, लेकिन आज लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चारों ओर से हमले हो रहे हैं।


भारत की अनूठी ताकत


राहुल गांधी ने यह भी कहा कि भारत की विशाल और विविध जनसंख्या तथा विकेंद्रित लोकतांत्रिक ढांचा उसकी विशेष ताकतें हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की प्राचीन आध्यात्मिक और वैचारिक परंपरा आज की दुनिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत चीन की तरह अपने नागरिकों को दबा नहीं सकता।


आर्थिक चुनौतियों पर बात करते हुए, राहुल गांधी ने कहा कि सेवा आधारित अर्थव्यवस्था के बावजूद भारत में रोजगार के अवसर सीमित हैं।


अमेरिका की तुलना करते हुए, उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने वाले कितने लोग ऐसे हैं जो विनिर्माण क्षेत्र से आते हैं, जहां पिछले कुछ वर्षों में नौकरियों में कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन एक गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी कुशलता से वस्तुओं का उत्पादन कर रहा है, जो एक ऐसा मॉडल है जिसे भारत नहीं अपनाता।


उन्होंने कहा कि भारत को लोकतांत्रिक व्यवस्था में उत्पादन के लिए एक ऐसा मॉडल विकसित करने की आवश्यकता है, जो चीन को चुनौती दे सके।