राहुल गांधी का मोदी सरकार पर जीएसटी को लेकर तीखा हमला

राहुल गांधी का जीएसटी पर बयान
नई दिल्ली। कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जीएसटी के मुद्दे को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि नौकरशाही की संरचना बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में काम कर रही है, जो अपनी टीम के साथ जीएसटी की खामियों को दूर कर सकते हैं, जबकि छोटे व्यापारी और एमएसएमई इस प्रणाली में फंसे हुए हैं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आठ साल बाद भी, मोदी सरकार की जीएसटी में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाईचारे का एक कठोर उपकरण बन गया है। इसे गरीबों को दंडित करने, एमएसएमई को कमजोर करने, राज्यों को नुकसान पहुंचाने और कुछ अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था।" उन्होंने यह भी कहा कि जीएसटी को सरल और अच्छा कर बनाने का वादा किया गया था, लेकिन इसके बजाय भारत को अनुपालन की जटिलता और पांच-स्लैब कर प्रणाली मिली है, जिसमें 900 से अधिक बार संशोधन किया गया है।
8 years on, the Modi government’s GST is not a tax reform – it’s a brutal tool of economic injustice and corporate cronyism. It was designed to punish the poor, crush MSMEs, undermine states, and benefit a few billionaire friends of the Prime Minister.
A “Good and Simple Tax”…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 1, 2025
उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी पोर्टल अब दैनिक उत्पीड़न का एक साधन बन गया है। भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजक, यानी एमएसएमई, को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है। जीएसटी लागू होने के बाद से 18 लाख से अधिक छोटे व्यवसाय बंद हो चुके हैं। नागरिक अब चाय से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक हर चीज पर जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं, जबकि बड़े कॉरपोरेट्स सालाना 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर छूट का लाभ उठा रहे हैं।
राहुल गांधी ने यह भी बताया कि पेट्रोल और डीजल को जानबूझकर जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे किसानों और ट्रांसपोर्टरों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी बकाया को गैर-भाजपा शासित राज्यों को दंडित करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो मोदी सरकार के संघीय-विरोधी दृष्टिकोण को दर्शाता है। जीएसटी का मूल उद्देश्य भारत के बाजारों को एकीकृत करना और कराधान को सरल बनाना था, लेकिन इसके कार्यान्वयन में राजनीतिक पूर्वाग्रह और नौकरशाही की जटिलता ने इसे विफल कर दिया है।
उन्होंने अंत में कहा कि भारत को एक ऐसी कर प्रणाली की आवश्यकता है जो सभी के लिए काम करे, न कि केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए, ताकि हर भारतीय, चाहे वह किसान हो या दुकानदार, देश की प्रगति में योगदान दे सके।