रोहतक PGI में ऑक्सीजन सिलेंडर हादसा: बड़ा खतरा टला

ऑक्सीजन सिलेंडर का फटना: एक गंभीर घटना
रोहतक के पीजीआईएमएस में गुरुवार रात एक गंभीर हादसा होने से बच गया। एक मरीज के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लगाते समय अचानक इसका वाल्व फट गया, जिससे ऑक्सीजन लीक होने लगा।
अफरा-तफरी का माहौल
इस घटना से वार्ड में हड़कंप मच गया। मरीजों और उनके परिवारों में दहशत फैल गई, और कुछ समय के लिए हंगामा भी हुआ। यह घटना अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती है।
डॉक्टरों की तत्परता
घटना उस समय हुई जब वार्ड में मरीजों का इलाज चल रहा था। ऑक्सीजन लीक होने पर मरीजों के परिजन घबरा गए और कुछ ने अपने मरीजों को वार्ड से बाहर निकालने की कोशिश की। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टरों को तुरंत मौके पर पहुंचना पड़ा। उन्होंने मरीजों और परिजनों को शांत किया और सिलेंडर को बाहर निकालकर लीक को रोका। गनीमत रही कि सिलेंडर पूरी तरह नहीं फटा, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
कर्मचारियों की हड़ताल का प्रभाव
रोहतक पीजीआई में हाल ही में अनुभवी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। उनकी जगह नए और अनुभवहीन कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इस घटना के पीछे कर्मचारियों की कमी और अनुभवहीनता को एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। नए कर्मचारियों को ऑक्सीजन सिलेंडर संभालने का उचित प्रशिक्षण नहीं मिला, जिससे यह घटना हुई।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कर्मचारियों को बेहतर प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, ऑक्सीजन सिलेंडरों की नियमित जांच को और सख्त किया जाएगा। यह घटना अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की आवश्यकता को उजागर करती है।
मरीजों की सुरक्षा पर ध्यान
इस घटना ने मरीजों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठाए हैं। रोहतक पीजीआई जैसे बड़े अस्पताल में ऐसी लापरवाही चिंता का विषय है। परिजनों का कहना है कि अगर समय पर स्थिति को नियंत्रित नहीं किया जाता, तो नुकसान बहुत बड़ा हो सकता था।
भविष्य की योजनाएं
अस्पताल प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि मरीजों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। इस घटना के बाद ऑक्सीजन सिलेंडर हादसे से बचने के लिए सभी उपकरणों की जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही, कर्मचारियों की हड़ताल को समाप्त करने के लिए बातचीत चल रही है, ताकि अनुभवी स्टाफ की कमी से ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की कितनी आवश्यकता है।