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लोकसभा में हंगामे के बीच 'विकसित भारत' बिल पर चर्चा

गुरुवार को लोकसभा में 'विकसित भारत: गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025' पर चर्चा के दौरान भारी हंगामा हुआ। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बिल का समर्थन किया, जबकि विपक्ष ने इसे स्थायी समिति को भेजने की मांग की। जानें इस विधेयक की विशेषताएं और विपक्ष के आरोप।
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लोकसभा में हंगामे के बीच 'विकसित भारत' बिल पर चर्चा

लोकसभा में हंगामा

गुरुवार को लोकसभा में उस समय का माहौल काफी गरम हो गया जब केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान 'विकसित भारत: गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025' पर सरकार का पक्ष रख रहे थे।


विपक्षी सांसदों की लगातार नारेबाजी के कारण सदन में अशांति फैल गई।


विपक्ष की मांग

कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने स्पीकर ओम बिरला से अनुरोध किया कि इस महत्वपूर्ण विधेयक को स्थायी समिति या संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाए।


उन्होंने कहा कि यह बिल मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण रोजगार कानून की जगह ले रहा है, इसलिए इसे जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए।


स्पीकर का निर्णय

हालांकि, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष की इस मांग को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर पहले ही आठ घंटे से अधिक चर्चा हो चुकी है, जो बुधवार रात तक चली थी। इसलिए इसे समिति को भेजने की आवश्यकता नहीं है।


केंद्रीय मंत्री का बयान

विरोध के बावजूद, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना भाषण जारी रखा। उन्होंने कहा कि नया कानून ग्रामीण रोजगार और आजीविका को मजबूत करेगा। इस विधेयक के तहत हर साल 125 दिन का वेतनयुक्त रोजगार सुनिश्चित किया जाएगा, जो मौजूदा मनरेगा के 100 दिनों से अधिक है।


उन्होंने कहा, "बड़े बजट और ज्यादा रोजगार के साथ हम पूरी तरह विकसित गांवों की नींव रख रहे हैं। यही मोदी सरकार का लक्ष्य है।"


विपक्ष का आरोप

विपक्ष का कहना है कि यह बिल मनरेगा की मांग आधारित गारंटी को कमजोर करता है, राज्यों पर वित्तीय बोझ डालता है और महात्मा गांधी का नाम हटाना राष्ट्रपिता का अपमान है।