विवाहेतर संबंध: भारतीय कानून में बदलाव और इसके प्रभाव
विवाह का पवित्र बंधन और कानूनी दृष्टिकोण
भारतीय समाज में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है, जो विश्वास और भरोसे पर आधारित होता है। लेकिन जब यह विश्वास टूटता है और विवाहेतर संबंध सामने आते हैं, तो यह कई जटिल सवाल खड़े करता है। खासकर यह जानने की इच्छा होती है कि क्या कानून इस मामले में हस्तक्षेप करता है। इस लेख में हम इस विषय पर एक नई दृष्टि से विचार करेंगे।विवाहेतर संबंधों पर कानूनी दृष्टिकोण में बदलाव: पहले विवाहेतर संबंधों को अपराध माना जाता था और इसके लिए सजा भी हो सकती थी। लेकिन 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ के मामले में आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। अब कानून के अनुसार, विवाहेतर संबंध को अपराध नहीं माना जाता, जिसका अर्थ है कि इसके लिए गिरफ्तारी या जेल की कार्रवाई नहीं हो सकती।
तलाक के लिए कानूनी आधार: यह ध्यान देने योग्य है कि विवाहेतर संबंध का कोई कानूनी प्रभाव नहीं है। वास्तव में, भारतीय कानून इसे तलाक का वैध कारण मानता है। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i) के तहत, पति या पत्नी विवाहेतर संबंध के आधार पर तलाक के लिए अदालत में आवेदन कर सकते हैं। यह दंपतियों को अपने रिश्ते की समस्याओं को सुलझाने का एक वैध रास्ता प्रदान करता है।
मुआवजे का कानूनी अधिकार: दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि विवाहेतर संबंध से प्रभावित पक्ष मुआवजे की मांग कर सकता है। यदि किसी पति या पत्नी को इस कारण से मानसिक या सामाजिक नुकसान होता है, तो वे आर्थिक मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, यदि पति आर्थिक रूप से कमजोर साबित होता है, तो अदालत गुजारा भत्ता देने से मना कर सकती है। यदि पत्नी यह साबित करती है कि पति का किसी अन्य महिला के साथ संबंध है, तो यह तलाक और भत्ते का एक मजबूत आधार बन जाता है।
समाज और दंपतियों के लिए इसका महत्व: इस बदलते कानूनी परिप्रेक्ष्य का आम लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पहले जहां विवाहेतर संबंधों को अपराध माना जाता था, अब इसे एक व्यक्तिगत और पारिवारिक मुद्दा माना जाता है, जिसका समाधान सिविल कोर्ट के माध्यम से किया जाता है। इससे दंपतियों के लिए न्याय पाने के रास्ते खुल गए हैं और दोनों पक्ष अपनी समस्याओं को कानूनी रूप से सुलझा सकते हैं। साथ ही, मुआवजे के प्रावधान से पीड़ित पक्ष को राहत भी मिलती है।