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वीर बाल दिवस: साहिबजादों के बलिदान और साहस का स्मरण

वीर बाल दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साहिबजादों के बलिदान को याद किया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को संबोधित करते हुए साहिबजादों के साहस और त्याग की महत्ता पर प्रकाश डाला। जानें इस दिन का महत्व और गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं का संदेश।
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वीर बाल दिवस: साहिबजादों के बलिदान और साहस का स्मरण

प्रधानमंत्री मोदी ने वीर बाल दिवस पर साहिबजादों को किया याद


नई दिल्ली में वीर बाल दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिखों के 10वें गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अद्वितीय बलिदान को याद किया। इस दिन बच्चों के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन भारत मंडपम में किया गया।


श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं का महत्व

प्रधानमंत्री मोदी ने वीरता पुरस्कार प्राप्त बच्चों से मिलने से पहले एक संदेश में कहा कि वीर बाल दिवस साहिबजादों के साहस, बलिदान और त्याग का स्मरण करने का दिन है। इस दिन माता गुजरी जी की अडिग आस्था और गुरु गोबिंद सिंह जी की अमर शिक्षाओं को भी याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह दिन साहस, दृढ़ संकल्प और धर्मनिष्ठा से जुड़ा हुआ है। पीएम ने लोगों से साहिबजादों के मूल्यों को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया।


साहिबजादों का बलिदान

श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्र थे, जिनमें साहिबजादा जोरावर सिंह, साहिबजादा फतेह सिंह, साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह शामिल थे। साहिबजादा जुझार सिंह और साहिबजादा अजीत सिंह ने 1705 में चमकौर की लड़ाई में शहादत प्राप्त की। वहीं, छोटे साहिबजादे फतेह सिंह और जोरावर सिंह को सरहिंद में इस्लाम स्वीकार करने से मना करने पर दीवार में जिंदा चिनवा दिया गया। माता गुजरी जी इस सदमे को सहन नहीं कर पाईं और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। इसी कारण से हर वर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है।