श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व
आज पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि के समय हुआ था। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भगवान का श्रृंगार करते हैं और उन्हें प्रिय भोग अर्पित करते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त रात 12:04 बजे से 12:47 बजे तक रहेगा, जबकि चंद्रोदय का समय रात 11:32 बजे निर्धारित किया गया है।
प्रमुख शहरों में जन्माष्टमी पूजन का मुहूर्त
नई दिल्ली: 12:04 AM - 12:47 AM
नोएडा: 12:03 AM - 12:46 AM
पुणे: 12:16 AM - 01:02 AM
मुंबई: 12:20 AM - 01:05 AM
चेन्नई: 11:50 PM - 12:36 AM
जयपुर: 12:09 AM - 12:53 AM
अहमदाबाद: 12:22 AM - 01:06 AM
बेंगलुरु: 12:01 AM - 12:47 AM
हैदराबाद: 11:58 PM - 12:43 AM
मथुरा-वृंदावन: 12:02 AM - 12:46 AM
रोहिणी नक्षत्र की स्थिति
इस वर्ष अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन रहा है। यह नक्षत्र 17 अगस्त को सुबह 4:38 बजे शुरू होगा और 18 अगस्त को तड़के 3:17 बजे समाप्त होगा। इसलिए आज रात बनाए गए शुभ मुहूर्त में पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।
पूजन विधि
भक्त सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें। यदि निर्जल व्रत संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। मध्यरात्रि को भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर, घी) से स्नान कराएं, फिर स्वच्छ जल से धोएं। उन्हें पीले वस्त्र, फूल और शंख में रखे प्रसाद से अर्पण करें। पूजा में काले या सफेद वस्त्र पहनने से बचें।
श्रृंगार विधि
भगवान को फूलों का सुंदर श्रृंगार करें, खासकर वैजयंती पुष्प का उपयोग करें। लड्डू गोपाल को पीले कपड़े पहनाएं और माथे पर गोपी चंदन का तिलक लगाएं। श्रृंगार के बाद उन्हें आईना दिखाकर उनकी सुंदरता का दर्शन करें।
मंत्र व स्तुति
श्रीकृष्ण के लिए "हरे कृष्ण हरे राम" महामंत्र का जप करें। प्रेम और भक्ति बढ़ाने के लिए "मधुराष्टक" और "श्रीमद्भगवद्गीता" का पाठ करें। इच्छाओं की पूर्ति हेतु "गोपाल सहस्त्रनाम" का पाठ भी किया जा सकता है।