संविधान दिवस: भारत के संविधान का महत्व और इतिहास
संविधान दिवस 26 नवंबर: एक महत्वपूर्ण अवसर
संविधान दिवस 26 नवंबर: भारत में हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, जबकि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में इन विशेष दिनों पर भाषण, क्विज़ और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है, जबकि संविधान दिवस 26 नवंबर को क्यों? इसके पीछे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कारण है।
संविधान सभा की स्थापना और प्रक्रिया
भारत की संविधान सभा के चुनाव जुलाई 1946 में हुए थे, और इसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को आयोजित की गई। हालांकि, 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद संविधान सभा दो भागों में विभाजित हो गई।
संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। लगभग 2 साल, 11 महीने और 8 दिन की मेहनत के बाद, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान तैयार किया। इसके बाद, 26 जनवरी 1950 को इसे पूरी तरह से लागू किया गया, जिससे भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बन गया।
संविधान दिवस 26 नवंबर का महत्व
26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को औपचारिक रूप से स्वीकार किया गया था, इसलिए इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन है जब भारत ने अपने भविष्य की नींव रखी।
भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जो भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में स्थापित करता है, जहां सभी धर्मों का समान सम्मान किया जाता है।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
भारतीय संविधान विभिन्न देशों के बेहतरीन विचारों का संगम है। संविधान निर्माताओं ने अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, आयरलैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और जापान के संविधान का गहन अध्ययन किया और उनमें से सर्वोत्तम प्रावधानों को भारत की विविधता और लोकतंत्र के अनुसार ढाला।
इसी कारण से भारतीय संविधान को दुनिया के सबसे मजबूत लोकतांत्रिक दस्तावेजों में से एक माना जाता है।
