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संसद में हंसी और गंभीरता का संगम: हनुमान बेनीवाल का व्यंग्यात्मक भाषण

संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान हनुमान बेनीवाल ने अपनी चुटीली टिप्पणियों से सदन का माहौल हल्का किया। उन्होंने पाकिस्तान को लेकर व्यंग्य किया और गंभीर मुद्दों जैसे पहलगाम हमले की सुरक्षा चूक पर सवाल उठाए। साथ ही, अग्निवीर योजना पर भी अपनी आलोचना की। जानिए उनके भाषण की खास बातें और सदन में हुई हंसी-मजाक के पल।
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संसद में हंसी और गंभीरता का संगम: हनुमान बेनीवाल का व्यंग्यात्मक भाषण

संसद में बहस का माहौल

संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर सत्ता और विपक्ष के बीच एक गंभीर चर्चा हुई, लेकिन इस दौरान कुछ पल ऐसे भी आए जब सदन में ठहाकों की गूंज सुनाई दी। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के नेता और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने अपनी चुटीली शैली में सरकार पर कटाक्ष करते हुए कुछ ऐसे बयान दिए, जिन्होंने माहौल को हल्का कर दिया।


पाकिस्तान को लेकर बेनीवाल का तंज

पाकिस्तान भारत की पत्नी बन गया है


हनुमान बेनीवाल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार का दावा है कि पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया गया है। इस पर उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, "आपने ऑपरेशन का नाम सिंदूर रखा है, जैसे भारत पाकिस्तान की मांग में सिंदूर भर रहा हो। हिंदू परंपरा में सिंदूर विवाह का प्रतीक है, इसका मतलब है कि अब पाकिस्तान भारत की पत्नी बन गया है, बस विदाई बाकी है। जाइए और उसे घर ले आइए।" उनकी इस टिप्पणी पर सदन में कई नेता हंस पड़े और ठहाके गूंज उठे।


समय की पाबंदी पर मजेदार टिप्पणी

समय की पाबंदी पर भी कसा व्यंग्य


जब बेनीवाल अपने भाषण में व्यस्त थे, तो किसी सदस्य ने उन्हें संक्षेप में बोलने का सुझाव दिया। इस पर उन्होंने मजाक में कहा, "आपने आधा घंटा बोल लिया और अब मुझे जल्दी करने के लिए कह रहे हैं?" जब सदन में टाइमर की घंटी बजी, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, "क्या हो गया?"


गंभीर मुद्दों पर उठाए सवाल

गंभीर मुद्दों पर भी उठाए सवाल


हालांकि बेनीवाल ने हास्य का सहारा लिया, लेकिन उन्होंने गंभीर मुद्दों को भी उठाया। उन्होंने पहलगाम हमले की सुरक्षा चूक की जांच की मांग की और पूछा कि जब इतनी बड़ी घटना हो सकती है तो इसका जिम्मेदार कौन है? क्या खुफिया तंत्र विफल हो गया?


अग्निवीर योजना पर आलोचना

अग्निवीर योजना पर आलोचना


सांसद ने केंद्र की अग्निवीर भर्ती योजना पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस योजना के कारण सशस्त्र बलों का मनोबल प्रभावित हुआ है। उन्होंने सरकार से इसे वापस लेने की मांग की और कहा कि देश की सुरक्षा में लगे जवानों की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।