सरसों की फसल के लिए सिंचाई के महत्वपूर्ण सुझाव
सरसों की फसल सिंचाई के सुझाव
सरसों फसल सिंचाई टिप्स कृषि समाचार: अलवर और खैरथल तिजारा जिले में इस वर्ष सरसों की बुवाई पूरी हो चुकी है। केवल खैरथल तिजारा क्षेत्र में 84,995 हैक्टर में सरसों बोई गई है, जो पिछले वर्ष के 83,500 हैक्टर से अधिक है। यह दर्शाता है कि किसानों का रुझान इस नकदी फसल की ओर लगातार बढ़ रहा है।
फसल तेजी से बढ़ रही है और किसान पहली सिंचाई की तैयारी कर रहे हैं। इस बीच, कृषि विशेषज्ञों ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह जारी की है, विशेषकर पहली सिंचाई के समय आवश्यक सावधानियों के बारे में।
पहली सिंचाई कब और कैसे करें?
विशेषज्ञों के अनुसार, पहली सिंचाई बुवाई के 30 से 40 दिन बाद करनी चाहिए, जब पौधा वानस्पतिक वृद्धि के चरण में होता है। इस समय सुबह और रात की ठंड तथा दोपहर की हल्की धूप के बीच पौधे को पानी की विशेष आवश्यकता होती है।
सिंचाई के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:
पानी केवल आवश्यकता अनुसार दें।
भूमि की नमी 4 से 5 सेंटीमीटर गहराई पर जांचें।
खेत को तालाब की तरह न भरें, केवल सतह तक नमी पर्याप्त है।
अधिक सिंचाई से फफूंद रोग फैलने का खतरा बढ़ता है और जड़ गलने की संभावना होती है।
रोग नियंत्रण: विशेषज्ञों की सलाह
पहली सिंचाई के साथ किसान 200 ग्राम काबेंडाजीम 50% WP पाउडर प्रति बीघा (0.25 हैक्टेयर) मिला सकते हैं। यह फफूंद जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
तेज धूप में पेंटेड बग का खतरा बढ़ जाता है।
तापमान बढ़ने पर सफेद रोली रोग की संभावना होती है, जिसके लिए मैंकोजेब 2 किग्रा/है. को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करने की सलाह दी गई है।
पोषण: जिप्सम और जिंक का सही उपयोग
यदि बुवाई के समय सिंगल सुपर फॉस्फेट नहीं दिया गया, तो पहली सिंचाई के समय 5 किलो जिप्सम प्रति बीघा डालें।
जिप्सम से सल्फर की कमी दूर होती है, जो सरसों में तेल की मात्रा बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
साथ ही, जिंक 33% को 3 से 5 किलो प्रति बीघा डालने से दानों की फुटान बेहतर होती है और तेल की गुणवत्ता में सुधार होता है।
इन सुझावों का पालन करके किसान अपनी फसल को स्वस्थ रखते हुए बेहतर उत्पादन और उच्च गुणवत्ता वाला तेल प्राप्त कर सकते हैं।
