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साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में गैंगरेप पर टीएमसी सांसद का विवादास्पद बयान

साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना ने टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के विवादास्पद बयान को जन्म दिया है। उन्होंने समाज की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी और कॉलेज की सुरक्षा पर सवाल उठाए गए हैं। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएँ।
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साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में गैंगरेप पर टीएमसी सांसद का विवादास्पद बयान

टीएमसी सांसद का बयान

साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज की एक छात्रा के साथ हुए गैंगरेप के मामले पर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी का बयान चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा, "यदि एक मित्र अपने मित्र का रेप कर दे, तो जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या स्कूलों में पुलिस तैनात की जाएगी?" उन्होंने यह भी कहा कि जब तक समाज की सोच में बदलाव नहीं आएगा, तब तक कोई कानून या पुलिस बल इस तरह की घटनाओं को रोकने में सक्षम नहीं होगा। सांसद ने महिलाओं को "गंदे विचारों वाले लोगों" से सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि लोगों को यह समझना होगा कि वे किस प्रकार के व्यक्तियों के साथ उठते-बैठते हैं।


मामले का विवरण

यह मामला 25 जून को सामने आया, जब एक 24 वर्षीय छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई कि कॉलेज परिसर में एक पूर्व छात्र और दो वरिष्ठ छात्रों ने उसके साथ गैंगरेप किया। पीड़िता के अनुसार, मुख्य आरोपी मोनोजीत मिश्रा ने उस पर शादी के लिए दबाव डाला, लेकिन जब उसने मना किया, तो तीनों ने मिलकर उसके साथ दुष्कर्म किया। आरोपियों में मोनोजीत मिश्रा, जो एक वकील और पूर्व छात्र है, जबकि अन्य दो आरोपी जैब अहमद और प्रमित मुखर्जी कॉलेज के वर्तमान छात्र हैं। अदालत ने तीनों को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है।


सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया

इस मामले ने न केवल कानूनी पहलू को बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और कॉलेज परिसरों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाए हैं। टीएमसी सांसद का बयान यह दर्शाता है कि राजनीतिक नेतृत्व भी महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को सामाजिक सोच के साथ जोड़कर देख रहा है। उन्होंने कहा कि आरजी कर हॉस्पिटल कांड के कुछ महीनों बाद फिर से ऐसी घटना होना बताता है कि मानसिकता में बदलाव लाना अब अनिवार्य हो गया है। इस बयान पर विपक्ष और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।


क्या कॉलेज सुरक्षित हैं?

यह घटना यह दर्शाती है कि आज के समय में शैक्षणिक संस्थान भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गए हैं। जहां एक ओर आरोपी संस्थान के ही छात्र हैं, वहीं दूसरी ओर संस्थान की जिम्मेदारी भी सवालों के घेरे में है। कॉलेज प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी कई सवाल उठे हैं, जिनका जवाब मिलना अब जरूरी हो गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग और अन्य संस्थाएं इस मामले में सक्रिय हो चुकी हैं, लेकिन असली समाधान मानसिकता में बदलाव और कड़े कदमों से ही संभव है।