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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बिहार के सभी राजनीतिक दलों को बनाया पक्षकार

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण मामले में सभी 12 राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया है। अदालत ने इन दलों को निर्देश दिया है कि वे मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए लोगों की सहायता करें। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने चुनाव आयोग से भी सहयोग की अपील की है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की वजहें और आगामी विधानसभा चुनावों पर इसका प्रभाव।
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बिहार के सभी राजनीतिक दलों को बनाया पक्षकार

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मामले में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के सभी 12 राजनीतिक दलों को पक्षकार बनाया है। अदालत ने इन दलों से कहा है कि वे एसआईआर के दौरान मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए व्यक्तियों की सहायता करें।


जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। बेंच ने यह जानकर आश्चर्य व्यक्त किया कि बिहार में राजनीतिक दलों के 1.68 लाख से अधिक बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) हैं, जबकि चुनाव आयोग के अनुसार केवल दो आपत्तियां दर्ज की गई हैं। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों से एसआईआर प्रक्रिया में सहयोग की अपील की थी। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर को निर्देश दिया कि सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को नोटिस जारी करें।


कोर्ट ने राजनीतिक दलों को यह भी निर्देश दिया कि वे अपने बीएलए को यह बताएं कि मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल होने के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित 11 दस्तावेजों या आधार कार्ड के साथ आवश्यक फॉर्म जमा करने में मदद करें। चुनाव आयोग ने पहले सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि उनके निर्देशों का पालन किया गया है और ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल न होने वाले लगभग 65 लाख लोगों की बूथ वार सूची वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। आयोग ने यह भी कहा कि आदेश के अनुसार ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी कर दी गई है।


पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह उन 65 लाख लोगों की सूची जारी करे, जिनके नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किए गए हैं। आयोग को यह भी बताना था कि उनके नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल न करने का कारण क्या है। सुप्रीम कोर्ट आगामी बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों की एसआईआर के आदेश देने वाले चुनाव आयोग के 24 जून के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है।