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सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST के लिए आरक्षण नीति लागू की, जानें इसके प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण नीति लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह नीति 23 जून 2025 से प्रभावी होगी और इसमें गैर-न्यायिक कर्मचारियों की सीधी भर्ती और प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान है। CJI जस्टिस गवई ने इस निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जानें इस नीति के तहत आरक्षण का प्रतिशत और किन पदों पर यह लागू होगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST के लिए आरक्षण नीति लागू की, जानें इसके प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक न्याय और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षण नीति को लागू किया है। अब, सुप्रीम कोर्ट के गैर-न्यायिक कर्मचारियों की सीधी भर्ती और पदोन्नति में भी आरक्षण का प्रावधान होगा, जिससे यह संस्था भी सार्वजनिक संस्थानों की तरह समावेशी प्रशासन की दिशा में आगे बढ़ रही है.


आरक्षण नीति की प्रभावी तिथि

यह निर्णय 23 जून 2025 से लागू हो गया है, जिसकी सूचना 24 जून को सुप्रीम कोर्ट के सभी कर्मचारियों को एक आधिकारिक सर्कुलर के माध्यम से दी गई। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक ढांचे में आरक्षण की व्यवस्था को लागू किया गया है.


आरक्षण का प्रतिशत

नए सर्कुलर के अनुसार, गैर-न्यायिक पदों पर नियुक्ति के लिए आरक्षण का प्रतिशत इस प्रकार निर्धारित किया गया है:


  • अनुसूचित जाति (SC) के लिए 15% आरक्षण
  • अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 7.5% आरक्षण


यह नीति केवल प्रशासनिक और सहायक पदों पर लागू होगी, न्यायाधीशों के चयन या पदोन्नति पर नहीं।


आरक्षण किन पदों पर लागू होगा?

यह आरक्षण नीति सुप्रीम कोर्ट के कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और तकनीकी पदों पर लागू होगी, जिनमें शामिल हैं:


  • सीनियर पर्सनल असिस्टेंट
  • असिस्टेंट लाइब्रेरियन
  • जूनियर कोर्ट असिस्टेंट
  • जूनियर कोर्ट असिस्टेंट-कम-प्रोग्रामर
  • जूनियर कोर्ट अटेंडेंट
  • चैंबर अटेंडेंट


इन पदों की सीधी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का पालन अनिवार्य रूप से किया जाएगा।


CJI गवई की महत्वपूर्ण भूमिका

CJI जस्टिस गवई ने इस ऐतिहासिक निर्णय को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समावेशिता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाने वाले जस्टिस गवई ने कहा कि यदि सरकार और हाईकोर्ट में पहले से SC-ST आरक्षण है, तो सुप्रीम कोर्ट अपवाद क्यों हो? हमारी अदालतों के निर्णय हमेशा सकारात्मक भेदभाव के पक्ष में रहे हैं, अब समय है कि हम इसे अपने प्रशासन में भी लागू करें।


आरक्षण रोस्टर Supnet पोर्टल पर उपलब्ध

न्यायालय के डिजिटल पोर्टल Supnet पर आरक्षण रोस्टर और रजिस्टर को अपलोड कर दिया गया है। इससे सभी कर्मचारी इन सूचियों की पारदर्शिता के साथ जांच कर सकते हैं। कर्मचारियों को यह निर्देश भी दिया गया है कि यदि उन्हें किसी भी प्रकार की त्रुटि दिखाई दे, तो वे तुरंत रजिस्ट्रार को सूचित करें।