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सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता की पत्नी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में उनकी नजरबंदी को राजनीतिक कारणों से अवैध बताया गया है। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता की पत्नी की याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय


नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी, गीतांजलि अंगमो की याचिका पर केंद्र सरकार, लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश और जोधपुर सेंट्रल जेल के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी किया है। यह याचिका राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत उनकी नजरबंदी के खिलाफ दायर की गई थी। गीतांजलि ने यह याचिका 2 अक्टूबर को प्रस्तुत की थी, जिसमें कहा गया है कि उनके पति की गिरफ्तारी राजनीतिक कारणों से हुई है और उनके मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन किया गया है। याचिका में उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है।


जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद सरकार से जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने वांगचुक के वकील से पूछा कि उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख क्यों नहीं किया। इस पर गीतांजलि की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि कौन सा उच्च न्यायालय? उन्होंने कहा कि याचिका में हिरासत की आलोचना की गई है और वे हिरासत के खिलाफ हैं।


अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को


सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को निर्धारित की है। कपिल सिब्बल ने कहा कि नज़रबंदी के कारण परिवार को नहीं बताए गए हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नज़रबंदी के आधार पहले ही बंदी को सौंपे जा चुके हैं और वह उनकी पत्नी को आधार की एक प्रति दिए जाने की जाँच करेंगे।


26 सितंबर को हुई थी गिरफ्तारी


सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख से गिरफ्तार किया गया था और वे वर्तमान में जोधपुर की जेल में हैं। यह गिरफ्तारी लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के बाद की गई थी। इसके बाद, अंगमो ने अपनी हिरासत को चुनौती देते हुए सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3(2) के तहत उनके पति की निवारक हिरासत अवैध थी।


याचिका में कहा गया है कि वांगचुक की हिरासत वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित नहीं थी, बल्कि एक सम्मानित पर्यावरणविद् और समाज सुधारक को चुप कराने के इरादे से की गई थी।