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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रावधानों पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इसे उन सभी सदस्यों की जीत बताया जिन्होंने इस कानून का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह आदेश मूल कानून में निहित शरारती इरादों को दूर करने में मदद करेगा। कोर्ट ने कलेक्टर की शक्तियों पर भी रोक लगाई है और मौजूदा वक्फ संपत्तियों को संदिग्ध चुनौतियों से बचाने के लिए कदम उठाए हैं। इस फैसले के साथ, राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर भी सीमाएं तय की गई हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रावधानों पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। इस फैसले पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उन सभी सदस्यों की जीत है, जिन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में असहमति नोट प्रस्तुत किए थे।


जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर न केवल उन दलों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने संसद में इस कानून का विरोध किया, बल्कि उन सभी सदस्यों के लिए भी जिन्होंने विस्तृत असहमति पत्र प्रस्तुत किए थे। यह आदेश मूल कानून में निहित शरारती इरादों को दूर करने में मददगार साबित होगा।"


उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी दलों के वकीलों ने तर्क दिया था कि इस कानून के लागू होने से एक ऐसा ढांचा बनेगा जहां कोई भी व्यक्ति कलेक्टर के समक्ष संपत्ति की स्थिति को चुनौती दे सकेगा, जिससे संपत्ति की स्थिति अनिश्चित हो जाएगी। इसके अलावा, केवल पांच वर्षों से वकालत करने वाला कोई 'मुस्लिम' ही वक्फ को दान दे सकता है। इन धाराओं का उद्देश्य मतदाताओं को भड़काना और धार्मिक विवादों को बढ़ावा देना था।


कांग्रेस नेता ने कहा कि इस आदेश के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने कलेक्टर की शक्तियों पर रोक लगा दी है। मौजूदा वक्फ संपत्तियों को संदिग्ध चुनौतियों से बचाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, मुस्लिम होने के प्रमाण की आवश्यकता वाले प्रावधान पर 5 साल के लिए रोक लगा दी गई है। हम इस आदेश का स्वागत न्याय, समानता और बंधुत्व के संवैधानिक मूल्यों की जीत के रूप में करते हैं।


सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य वक्फ बोर्डों में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।