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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की संपत्ति के दावे को किया खारिज, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा एक संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में मान्यता देने की याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह संपत्ति पहले से ही एक गुरुद्वारे के रूप में कार्यरत है। वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि यह संपत्ति एक मस्जिद है, लेकिन प्रतिवादी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह अब उनकी व्यक्तिगत संपत्ति है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे के तर्क।
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सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड की संपत्ति के दावे को किया खारिज, जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा एक संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में मान्यता देने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह संपत्ति पहले से ही एक गुरुद्वारे के रूप में कार्यरत है और वक्फ बोर्ड इसे 'वक्फ संपत्ति' साबित करने में असफल रहा है।


याचिका का पृष्ठभूमि

यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के 2010 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि पूर्वी दिल्ली के शाहदरा क्षेत्र में स्थित संपत्ति का उपयोग 1947 से गुरुद्वारे के रूप में किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड इस संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में प्रमाणित नहीं कर सका। सर्वोच्च अदालत ने कहा, 'यदि वहां पहले से एक गुरुद्वारा है, तो उसे वैसे ही रहने दिया जाना चाहिए। वक्फ बोर्ड को अपनी याचिका वापस ले लेनी चाहिए।'


वक्फ बोर्ड का तर्क

वक्फ बोर्ड ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि विवादित संपत्ति एक मस्जिद है, जिसका नाम 'मस्जिद तकिया बब्बर शाह' है, और यह मस्जिद अनादि काल से मौजूद है। बोर्ड ने यह भी कहा कि प्रतिवादी ने प्रतिकूल कब्जे के माध्यम से इस संपत्ति का स्वामित्व हासिल किया है।


प्रतिवादी का विरोध

प्रतिवादी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह संपत्ति 'वक्फ संपत्ति' नहीं है। उनका तर्क था कि संपत्ति के मालिक मोहम्मद अहसान ने 1953 में इसे बेच दिया था, इसलिए वक्फ बोर्ड का दावा असंगत है।


दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि वक्फ बोर्ड यह साबित करने में असफल रहा कि यह संपत्ति वक्फ संपत्ति है। अदालत ने यह भी कहा कि प्रतिवादी 1947-48 से इस संपत्ति पर काबिज था, लेकिन वक्फ बोर्ड कोई स्वामित्व दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका।


वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता

यह मामला उस समय सामने आया है जब सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार कर रही है। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी निगरानी का विस्तार किया गया है। वक्फ बोर्ड की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण हो सकता है।