सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की कोशिश: अजीत भारती का विवादित बयान

सुप्रीम कोर्ट में हड़कंप
YouTuber Ajeet Bharti: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अजीब घटना घटी जब 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया। उन्होंने नारे लगाए, 'सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे हिंदुस्तान।' इस घटना के तुरंत बाद, बिहार के यूट्यूबर अजीत भारती का नाम सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा।
अजीत भारती के विवादास्पद बयान
अजीत भारती, जो बेगूसराय के निवासी हैं, खुद को एक मीडिया पर्सनालिटी मानते हैं और अपने 'राइट-विंग' विचारों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उनके पॉडकास्ट में सीजेआई गवई और हिंदू धर्म पर भड़काऊ टिप्पणियाँ की गई थीं। वीडियो में भारती ने कहा कि 'हिंदुओं को अब प्रतिक्रिया देनी चाहिए।' वायरल क्लिप में उन्होंने सीजेआई की पृष्ठभूमि पर भी टिप्पणी की।
अजीत भारती का विवादित रुख
जूता फेंकने की घटना के बाद, अजीत भारती ने अपने बयान वापस नहीं लिए। उन्होंने X पर एक नया वीडियो पोस्ट किया जिसमें गवई को 'लाउजी जज' कहा और यह भी कहा कि उनके खिलाफ 'कॉन्टेम्प्ट केस' चलना चाहिए। इसने ऑनलाइन बहस को और बढ़ा दिया है।
पुलिस का स्पष्टीकरण
घटना के बाद, सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैल गई कि अजीत भारती को नोएडा पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हालांकि, नोएडा एडीसीपी सुमित शुक्ला ने इस दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने भारती से कोई पूछताछ नहीं की है और न ही उन्हें गिरफ्तार किया गया है। इस बीच, अजीत भारती के समर्थक सोशल मीडिया पर 'हिंदू वॉयस सेंसर नहीं होगी' जैसे हैशटैग चला रहे हैं।
वकील का तर्क
71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने कहा कि वे सीजेआई की टिप्पणी से 'गहराई से आहत' थे। उन्होंने इसे 'सनातन धर्म के सम्मान के लिए कदम' बताया। हालांकि, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया। पुलिस ने उन्हें तीन घंटे पूछताछ के बाद छोड़ दिया क्योंकि सीजेआई या सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने कोई औपचारिक शिकायत नहीं की थी।
विवाद की जड़
यह विवाद उस टिप्पणी से शुरू हुआ जो सीजेआई बी.आर. गवई ने 16 सितंबर को खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की बहाली की याचिका पर सुनवाई के दौरान की थी। उन्होंने कहा था, 'आप खुद भगवान विष्णु के भक्त हैं, तो जाकर उनसे ही प्रार्थना करें।' इस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। बाद में सीजेआई ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी धर्म का अपमान करना नहीं था।
राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रिया
इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी और इसे 'गंभीर और निंदनीय' बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सीजेआई से बात की है और उनके शांत व्यवहार की सराहना की। वहीं, सोनिया गांधी ने इसे 'केवल सीजेआई पर नहीं, बल्कि भारत के संविधान पर भी हमला' बताया। पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री ने इतनी देर से बयान क्यों दिया।