सूरज पर दिल को छू लेने वाली शायरी: छठ पूजा के लिए विशेष
सूरज पर शायरी: एक नई शुरुआत का प्रतीक
सूरज पर शायरी: दिल को छू लेने वाली शायरी: भारतीय संस्कृति में सूर्य को एक देवता के रूप में पूजा जाता है, जो ज्ञान, शक्ति और सत्य का प्रतीक है। सूर्य हमें हर दिन नई शुरुआत का अवसर प्रदान करता है। जब सूरज उगता है, ऐसा लगता है जैसे वह कह रहा हो – चाहे अंधेरा कितना भी गहरा हो, रोशनी अवश्य लौटेगी।
सूर्य, ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत, पर कई कवियों ने अद्भुत शायरी लिखी है। इस छठ पूजा के अवसर पर, आइए पढ़ते हैं सूर्य पर कुछ प्रसिद्ध शेर:
सूरज पर शायरी
सूरज हूं ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊंगा
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊंगा
— इक़बाल साजिद
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का
यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
— शहरयार
ऊंची इमारतों से मकां मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
— जावेद अख़्तर
वो रातें चांद के साथ गईं वो बातें चांद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो
— इब्न-ए-इंशा
सूरज सितारे चांद मिरे साथ में रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे
— राहत इंदौरी
सूरज पर और शायरी
ये तो इक रस्म-ए-जहां है जो अदा होती है
वर्ना सूरज की कहां सालगिरह होती है
— अज्ञात
एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा
आंख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा
— परवीन शाकिर
मैं इस लिए हुजूम का हिस्सा नहीं बना
सूरज कभी नुजूम का हिस्सा नहीं बना
— शाहिद माकुली
तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़
लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़
— अहमद फ़राज़
उदासी शाम तन्हाई कसक यादों की बेचैनी
मुझे सब सौंप कर सूरज उतर जाता है पानी में
— अलीना इतरत
मिरे सूरज आ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर
बड़ी तेज़ हवा है सर्दी आज ग़ज़ब की है
— शहरयार
उम्मीद है कि ये शेर आपको पसंद आएंगे। इन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा करके छठ पूजा का आनंद दोगुना करें।
