सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी: क्या है लद्दाख की राजनीतिक संवेदनशीलता?

सोनम वांगचुक का मामला: एक नई बहस का आगाज़
सोनम वांगचुक केस: कश्मीर-लद्दाख क्षेत्र में चल रहे आंदोलनों और सुरक्षा के हालात के चलते सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी ने राजनीतिक और सामाजिक मंच पर फिर से हलचल मचा दी है। उनकी पत्नी, गितांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने अपने पति की गिरफ्तारी और लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझने की अपील की। गितांजलि ने पत्र में राष्ट्रपति के आदिवासी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए इस मामले की संवेदनशीलता को उजागर किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत कार्रवाई
सोनम वांगचुक को पिछले सप्ताह लद्दाख के लेह में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद गिरफ्तार किया गया था। ये प्रदर्शन छठे अनुसूची के तहत संरक्षण विस्तार और लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर थे। वांगचुक पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। गितांजलि ने इस गिरफ्तारी को 'डरावनी छापेमारी' और 'witch hunt' करार दिया है। उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के बाद से उन्हें अपने पति से बात करने की अनुमति नहीं मिली है, जबकि पुलिस ने फोन पर उनसे बात कराने का वादा किया था।
गिरफ्तारी के समय की स्थिति
गितांजलि ने कहा कि गिरफ्तारी के समय सोनम को अपने कपड़े तक साथ लेने की अनुमति नहीं दी गई थी। वे चिंतित हैं कि क्या जेल में उन्हें उचित दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुएं मिल रही हैं, खासकर उनके हाल ही में किए गए 15 दिनों के अनशन के बाद उनकी शारीरिक स्थिति को देखते हुए। उन्होंने पुलिस द्वारा अपने संस्थान, हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स (HIAL) के सदस्यों को बिना कानूनी प्राधिकरण के हिरासत में लेने का भी उल्लेख किया।
सोनम वांगचुक की छवि
गितांजलि ने अपने पति को एक शांतिपूर्ण गांधीवादी आंदोलनकारी बताया जो जलवायु परिवर्तन, शिक्षा सुधार और लद्दाख के विकास के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इन मांगों को रखना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जाना चाहिए। उन्होंने इसे 'राजनीतिक दमन' और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।
राष्ट्रपति से विशेष अपील
गितांजलि ने राष्ट्रपति मुर्मू से विशेष अपील की है, क्योंकि वे स्वयं आदिवासी पृष्ठभूमि से हैं और लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझने में सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि लद्दाख क्षेत्र अपने राष्ट्रवाद और भारतीय सेना के प्रति समर्थन के लिए जाना जाता है, और उनके पति ने स्थानीय सेना के लिए शेल्टर्स भी बनाए हैं। उनका कहना है कि लद्दाख के मूल निवासी को इस तरह बेइज्जत करना न केवल गलत है, बल्कि सीमाओं की मजबूती और क्षेत्रीय एकता के लिए भी हानिकारक है।
महत्वपूर्ण प्रश्न
गितांजलि ने राष्ट्रपति से चार सवाल पूछे हैं: क्या उन्हें अपने पति से मिलने या फोन पर बात करने की अनुमति दी जाएगी; क्या वे वांगचुक की गिरफ्तारी के कारणों और उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जान सकती हैं; क्या उन्हें वांगचुक की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी; और क्या नागरिकों को अपने शांतिपूर्ण अधिकारों के लिए आवाज उठाने की अनुमति मिलनी चाहिए।
राजनीतिक और कानूनी असुविधाएं
इस बीच, जोधपुर जेल में वांगचुक से मिलने आए सीपीआई-एम सांसद अमरा राम को भी मुलाकात की अनुमति नहीं मिली। प्रशासन ने नियमों का हवाला देते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया। सांसद ने सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि किस शर्त पर उनसे मिलने की इजाजत दी जाएगी।
संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन
गितांजलि ने सरकार की कार्रवाई को संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन बताया, खासकर अनुच्छेद 21 और 22 का, जो कानूनी प्रतिनिधित्व और न्याय तक पहुंच की गारंटी देते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति से अपने विवेक और न्यायप्रियता के आधार पर हस्तक्षेप करने और सोनम वांगचुक की 'बिना शर्त रिहाई' का आग्रह किया है। उनका कहना है कि उनके पति जैसे व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कभी खतरा नहीं हो सकते।
निष्कर्ष
यह पूरा मामला न केवल लद्दाख की राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि भारत में लोकतांत्रिक अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और आदिवासी समुदायों की सुरक्षा की चुनौतियों को भी उजागर करता है। सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और उनके समर्थन में उठी आवाजें इस क्षेत्र के भविष्य और उसके विकास की दिशा के लिए महत्वपूर्ण संकेत हैं।