सोनीपत में यमुना बाढ़ से किसानों की फसलें प्रभावित, प्रशासन ने जारी किया अलर्ट

सोनीपत में यमुना का बाढ़ का खतरा
Sonipat Yamuna Flood 2025, सिटी रिपोर्टर | सोनीपत : सोनीपत में यमुना का 42.5 किमी का क्षेत्र है, जिसमें 50 से अधिक गांव शामिल हैं। बांध के भीतर स्थित गांवों के खेतों में चार हजार से अधिक फसलों के डूबने का खतरा है। प्रभावित गांवों में चंदौली, पबनेरा, मीमारपुर रसूलपुर, मेहंदीपुर जैनपुर, गयासपुर, बख्तावरपुर, ताजपुर, असदपुर, नांदनौर, मनौली, टोकी, जगदीशपुर, जाजल, बड़ौली आदि शामिल हैं, जहां किसान चिंतित हैं।
विशेष रूप से, जलभराव वाले क्षेत्र के 90 प्रतिशत में किसान स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं, इसके अलावा धान और अन्य फसलों की भी बुवाई की गई है, जो अब बरसाती पानी से प्रभावित हो गई हैं। सही आंकड़े राजस्व विभाग द्वारा पानी कम होने के बाद किए जाने वाले सर्वेक्षण से सामने आएंगे।
हथनीकुंड बैराज से सोमवार की दोपहर को छोड़ा गया पानी तेजी से आगे बढ़ा और सुबह ही सोनीपत में पहुंच गया, जिससे यमुना में उफान आ गया है। यमुना किनारे के 20 से अधिक गांवों में खतरा उत्पन्न हो गया है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले तीन दिनों से वे सो नहीं पाए हैं। यमुना बांध के भीतर और आसपास के गांवों के खेतों में चार से पांच फीट तक पानी भर गया है। जिला प्रशासन ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और कर्मियों को 24 घंटे निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। विधायक कृष्णा गहलावत, डीसी सुशील सारवान और अन्य प्रशासनिक अधिकारी स्थिति का जायजा लेने पहुंचे।
जगदीशपुर में बांध तक पानी पहुंच गया है, जिससे लोगों के घर, मंदिर और पशुओं के चारे में भी पानी भर गया है। पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, और अब तक लगभग 20 गांवों के 5 हजार एकड़ से अधिक खेतों में पानी भर चुका है। यमुना में शाम पांच बजे तक लगभग साढ़े तीन लाख क्यूसेक पानी बह रहा था, जबकि सामान्य स्तर करीब 75 हजार क्यूसेक है।
गढ़ मिरकपुर में बांध के बाहर निकला पानी
सोनीपत से बागपत जाने वाले रास्ते में गढ़ मिरकपुर में यमुना नदी का पुल है। यहां यमुना की चौड़ाई लगभग 900 मीटर से अधिक हो गई है। हरियाणा की तरफ बने बांध के बाहर खेतों में पानी भर गया है, जिससे गन्ने के खेतों में चार फीट तक पानी भर गया है। सड़क के दोनों तरफ भी हालात ऐसे ही हैं, और बांध के पास बने घरों में भी पानी भर गया है।
यमुना के पानी को रोकने के लिए जगदीशपुर, टोंकी और झुंडपुर में बनाए गए बांध भी बहुत नीचे हैं। यदि रात में पानी और बढ़ता है, तो गांव में भी पानी घुसने की संभावना है, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है। जगदीशपुर से टोंकी, झुंडपुर, जानल, मनौली, मीमारपुर सहित पूरे क्षेत्र में बांध में बड़े गड्ढे बन गए हैं।
कई स्थानों पर बांधों की ऊंचाई गांवों से आने वाली सड़कों के बराबर है। 15 फीट चौड़े बांध में कई जगह छह फीट की सड़क भी नहीं है, जिससे आपातकाल में पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है। ग्रामीणों ने आपातकाल में गाड़ियों के गुजरने पर भी सवाल उठाए हैं।
जगदीशपुर में बांध तक पहुंचा पानी
पबनेरा और बेगा के खेतों में कटाव हो रहा है, और टोंकी जगदीशपुर के 50 से अधिक लोग अपनी फसलों के लिए बांध के आसपास ही डटे हुए हैं। बांध के पास निर्माणाधीन मंदिर, मकान, पशु चारा, खेत सभी जलमग्न हो गए हैं। लोगों का कहना है कि मौके पर जेसीबी और रेत की बोरियां रखी गई हैं, लेकिन इन्हें कब लगाया जाएगा, यह स्पष्ट नहीं है। लगभग 1500 एकड़ फसल में पानी भरने से नुकसान की आशंका जताई जा रही है।
सिंचाई विभाग सोनीपत के एक्सईएन नितिन भट्ट ने कहा कि बैराज से छोड़ा गया पानी तेज गति से जिले से गुजर रहा है। बांध के बाहर अभी कोई पानी नहीं आया है। विभाग द्वारा सजगता बरती जा रही है। उम्मीद है कि बुधवार सुबह खेतों से पानी उतर जाएगा, जिससे नुकसान की आशंका नहीं है। लेकिन सही जानकारी राजस्व विभाग ही दे पाएगा। प्रशासन, पंच, सरपंच और ग्रामीणों की मदद से राहत कार्य किया जा रहा है।
पबनेरा और बेगा क्षेत्रों में यमुना नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है, जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता स्पष्ट झलक रही है। पहले से उफान भरी जलधारा ने जो सुरक्षा तटबंध बनाए गए थे, वे अब धराशायी होते दिख रहे हैं।
पबनेरा गांव के खेतों में नदी किनारे लगातार कटाव हो रहा है। यमुना का जल स्तर इतना बढ़ गया है कि तटबंधों से पानी खेतों में खींचा जा रहा है और ठोकर पूरी तरह डूब गई हैं। प्रशासन ने जहां जेसीबी मशीनें और प्लास्टिक के कट्टे रखे हैं, वहीं धरातल पर कट्टे अभी भी खाली पड़े हैं। यह दर्शाता है कि बचाव कार्य अभी तक केवल नुमाया ढंग से ही चल रहा है।