सोमनाथ भारती ने जीतनराम मांझी को भेजा कानूनी नोटिस, कहा- बयान लोकतंत्र के लिए खतरनाक
दिल्ली में राजनीतिक विवाद
दिल्ली: हर सांसद और विधायक को एक ही पंक्ति में 'कमीशनखोर' बताना मंच पर बोलने में आसान हो सकता है, लेकिन जब यह बात कानूनी रूप से उठती है, तो इसकी सच्चाई सामने आ जाती है। केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के एक बयान ने उन्हें खुद सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती ने इस बयान पर कड़ा रुख अपनाते हुए मांझी को कानूनी नोटिस भेजा है।
मांझी ने सार्वजनिक रूप से कहा कि सभी सांसद और विधायक कमीशन लेते हैं। यह सुनकर कुछ लोगों को यह बात मजेदार लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है। चुने हुए प्रतिनिधियों को बिना किसी सबूत के चोर कहना न तो ईमानदारी है और न ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई वास्तविक लड़ाई। यह केवल एक हल्का बयान नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा पर चोट है।
सोमनाथ भारती का कड़ा जवाब
यह सोच लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक है - सोमनाथ भारती
सोमनाथ भारती ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस तरह के बयान भ्रष्टाचार को उजागर नहीं करते, बल्कि इसे सामान्य बना देते हैं। जब सभी को चोर कहा जाता है, तो असली चोर और ईमानदार के बीच का अंतर मिट जाता है। यह सोच लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक होती है। एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जा सकती और कानून भी इसकी अनुमति नहीं देता।
कानूनी नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि सांसदों और विधायकों पर लगाया गया यह आरोप मानहानि की श्रेणी में आता है। कानून के अनुसार, बिना तथ्य और जांच के किसी पहचान योग्य समूह को अपराधी बताना गलत है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि कोई भी कुछ भी कह दे और जिम्मेदारी से बच जाए। बोलने की आज़ादी के साथ जवाबदेही भी जुड़ी होती है।
माफी की मांग
सोमनाथ भारती ने मांझी से कहा है कि वे सात दिनों के भीतर सार्वजनिक रूप से, उसी माध्यम से, बिना किसी शर्त के माफी मांगें, अपने बयान को वापस लें और भविष्य में ऐसी भाषा का उपयोग न करने का लिखित आश्वासन दें। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो आपराधिक और दीवानी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी हर्जाने की मांग भी शामिल होगी। यह कोई धमकी नहीं, बल्कि कानून का सीधा रास्ता है।
आम आदमी पार्टी ने इस मामले पर एक बड़ा सवाल उठाया है। क्या भाजपा सरकार के मंत्री अब पूरे संसद और विधानसभाओं को कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं? क्या ऐसे बयान जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से हटाने का एक तरीका नहीं हैं? पार्टी का कहना है कि जवाबदेही आवश्यक है, लेकिन झूठे और अपमानजनक आरोपों की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
राजनीति में जिम्मेदारी का महत्व
इस पूरे घटनाक्रम में स्पष्ट अंतर दिखाई देता है। एक ओर मंच से दिया गया गैर-जिम्मेदार बयान है, और दूसरी ओर कानून के दायरे में दिया गया जवाब। सोमनाथ भारती ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति में शोर मचाने से नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और संवैधानिक तरीके से सच और सम्मान की रक्षा की जाती है। यह संदेश भी स्पष्ट है कि लोकतंत्र में बोलने से पहले सोचना आवश्यक है, क्योंकि हर शब्द की कीमत होती है।
